International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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राजस्थान में भू-जल स्तर के बदलते स्वरूप की भौगोलिक विवेचना

Author(s) डॉ. उम्मेद कुमार चौधरी
Country India
Abstract प्रकृति द्वारा दिये गये अनेक वरदानों में जल प्रमुख है। मानव जीवन के लिए ‘‘जल‘‘ प्रकृति की अमूल्य निधि है, परन्तु यह सीमित प्राकृतिक संसाधन है। कहने का तात्पर्य यह है, कि जल सृष्टि का मूलाधार है। जल केवल मानव जाति के लिए ही नहीं बल्कि जीव-जन्तुओं और पेड-पौधो के लिए भी आवश्यक है। पृथ्वी पर जल के बिना जीवन जीने की कल्पना नहीं की जा सकती, समस्त जीव-जगत का आधार ही जल है, अर्थात ‘‘जल ही जीवन है‘‘ जल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को ‘‘विश्व जल दिवस‘‘ के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ (न्छव्) भी वर्ष 2013 को ‘‘विश्व जल वर्ष‘‘ के रूप में मना चुका है।
पृथ्वी के तीन चौथाई भाग पर जल का विस्तार है, जिसका 97.31 प्रतिशत भाग खारा (लवणीय ) है जो महासागरों, समुद्री खाडियों व नमकीन झीलों में पाया जाता है, और कुल जल भण्ड़ार का 2.69 प्रतिशत ही ताजा जल (स्वच्छ) है जिसमें से दो तिहाई भाग उच्च पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थित हिमनदों, हिम टोपियों व धुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों के रूप में जमा हुआ है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर 0.68 प्रतिशत भूजल व 0.0005 प्रतिशत सतही जल पाया जाता है। पृथ्वी पर उपयोग के लिए सहज रूप से उपलब्ध स्वच्छ जल की मांग 1 प्रतिशत से भी क्रम है। एक अनुमान के अनुसार भारत में औसत रूप से 1950 करोड घन मीटर जल उपयोग के लिए उपलब्ध है। भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी का (जनगणना 2011) का निवास है, यद्यपि यहां केवल 4 प्रतिशत ही जल है।
यदि हम राजस्थान की बात करे तो, राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। यह देश के कुल क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत भू-भाग है, तथा लगभग 5.67 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। कृषि क्षेत्र की दृष्टि से यहां कृषि योग्य क्षेत्र 257 लाख हैक्टेयर है, जो देश का 13.88 प्रतिशत तथा कुल पशुधन का 11 प्रतिशत है। इसके बावजूद सतही जल संसाधन का केवल 1.16 प्रतिशत और 1.70 प्रतिशत भूजल है। राजस्थान देश का सबसे अधिक जल गुणवत्ता प्रभावित प्रदेश है, क्योकि राज्य के 51 प्रतिशत जल में फ्लोराइड व 42 प्रतिशत जल खारा है। जहां तक जल की उपलब्धता का सवाल है, यह राष्ट्रीय औसत के 50 प्रतिशत से भी कम है।
Keywords -
Published In Volume 5, Issue 6, November-December 2023
Published On 2023-12-16
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.10419
Short DOI https://doi.org/gs9k4p

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