International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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महात्मा गाँधी के शैक्षिक विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता

Author(s) NIRAJ VERMA
Country India
Abstract मोहनदास करमचंद गाँधी जिन्हे हम आधुनिक भारत के निर्माता अथवा सृजनकर्ता के रूप में जानते हैं। उन्होंने केवल देश को स्वतंत्रता दिलाने में ही अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित नहीं किया अपितु देश के नागरिकों में नवचेतना, व नवशक्ति का विकास करके राष्ट्र का पुनर्निर्माण भी किया। वह अपने जीवन काल में न केवल सत्य, अहिंसा के पुजारी बने रहे साथ ही एक सफल राजनेता, समाज-सुधारक व शिक्षाविद भी रहे। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक जीवन को ही प्रभावित करने के साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी विशेष छाप छोड़ी। गाँधी जी के हर क्षेत्र की कार्यप्रणाली उनके जीवन दर्शन का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने भारतीयों को आत्म-निर्भर बनाने हेतु राष्ट्रीय बुनियादी शिक्षा योजना को भी प्रस्तुत किया। गाँधी जी की मान्यता थी कि शिक्षा सैधान्तिक एवं दार्शनिक रूप में ही महत्वपूर्ण नहीं वरन् व्यावहारिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में उनका शिक्षा दर्शन भी उनके जीवन दर्शन का एक प्रतीक है। बात चाहे सत्य की हो या अहिंसा की, मूल्यों की हो या संस्कार की, विश्वशांति की हो या मानवाधिकारों की सभी क्षेत्रों में गाँधी जी के शिक्षा से संबंधित विचारों का एक विशेष महत्त्व है निसंदेह इसी वजह से उन्हें एक महान शिक्षाविद के रूप में भी जाना जाता है।
Keywords बुनियादी शिक्षा योजना,स्त्री शिक्षा,धार्मिक शिक्षा, स्वावलम्बी शिक्षा, नई तालीम, क्रिया-प्रधान पाठ्यक्रम, मानसिक विकास, मूल्य आधारित पाठ्यक्रम, सत्य और अहिंसा।
Field Sociology > Education
Published In Volume 5, Issue 6, November-December 2023
Published On 2023-12-19
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.10644
Short DOI https://doi.org/gs9k2c

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