International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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हिंदी साहित्य में उदारीकरण और किसान: 'फांस’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में

Author(s) Savita Verma, Gajula Raju
Country India
Abstract कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद है, लेकिन हाल के वर्षों में किसानों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती हुई घटनाओं ने खेती में व्याप्त जबरदस्त संकट की ओर सबका ध्यान केंद्रित किया है। खेती का संकट केवल भारत में ही नहीं अपितु अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी व्याप्त है; वहां भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं और तेजी से खेती छोड़ रहे हैं। किसानों का विस्थापन ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर हो रहा है, जहां पर वे औद्योगिक कारखानों में संलग्न हो रहे हैं। अपने खेतों के स्वामी किसान अब बड़े -बड़े नगरों में मजदूर बन चुके हैं। स्वाभिमानी किसान से बेबस किसान और मजदूर बनने की प्रक्रिया में सत्ता और पूंजीवादी व्यवस्था की हिंसक उदारवादी आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। इस पूरी प्रक्रिया में किसानों द्वारा किए गए संघर्ष का जीवंत चित्रण संजीव ने अपने उपन्यास ‘फांस’ में किया है। यह शोध आलेख फांस उपन्यास में उदारवादी नीतियों का किसानों पर पड़ने वाले दुष्परिणामों का विश्लेषण करता है।
Keywords किसान, आत्महत्या, सरकारी नीतियां, कर्ज, पूंजीवादी व्यवस्था , निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियां
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 5, Issue 6, November-December 2023
Published On 2023-12-31
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11274
Short DOI https://doi.org/gtbtg2

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