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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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जवाहर लाल नेहरु: समाजवाद और राष्ट्रवाद (संयुक्त प्रान्त के सन्दर्भ में)

Author(s) डॉ. अपर्णा
Country India
Abstract ‘‘एक समाज तभी समाज कहलाता है जब उसमें रहने वाले प्रत्येक पुरूष और स्त्री न्यायिक समानता के साथ समान रूप से अवसरो का उपभोग कर रहे है।‘‘1 इस तरह की समाजवादी विचारधारा से ओत-प्रोत जवाहर लाल नेहरू का व्यक्तित्व था। उनका ये समाजवादी व्यक्तित्व 1920-21 के समय असहयोग आन्दोलन के दौरान ही दिखाई पड़ना आरंभ हो जाता है और इसकी चरम परिणति 1930-40 के दशक में कृषक-समस्याओं के सन्दर्भ में विशेष रूप से दिखती है। 1920 से ही जवाहर लाल नेहरू कृषकों की समस्याओं से न केवल स्वयं आबद्ध होने लगे बल्कि पूरे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्यान भी इस और आकृष्ट करने में सफल रहे है। लेकिन 1940 के आते-आते अपने कुछ कृत्यों से वे अपने ही समाजवादी छवि से विमुख होते प्रतीत हुये। उनका ये व्यक्तित्व परस्पर विरोधी क्यो रहा, अपने इस शोध-पत्र में मैने इसी का मूल्यांकन करने का प्रयास किया है। संयुक्त प्रान्त के सन्दर्भ में इसका परीक्षण करना और भी रूचिकर है क्योंकि यहाँ से जवाहर लाल नेहरू असीम रूप से जुड़े हुये थे।
Keywords कृषक, भूमि व्यवस्था, लगान, सूखा तथा नमक कानून।
Published In Volume 5, Issue 6, November-December 2023
Published On 2023-12-31
Cite This जवाहर लाल नेहरु: समाजवाद और राष्ट्रवाद (संयुक्त प्रान्त के सन्दर्भ में) - डॉ. अपर्णा - IJFMR Volume 5, Issue 6, November-December 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11402
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11402
Short DOI https://doi.org/gtbtdd

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