International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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मुंशी प्रेमचंद के कहानी साहित्य में चित्रित वृद्ध विमर्श
Author(s) | Savitri Suryakant Mandhare |
---|---|
Country | India |
Abstract | आज के दिनों में बुजुर्गों की समस्या बड़ी समस्या हो गयी हैं , लोग बुजुर्ग माता पिता को एक तो घर में अकेले छोड़ देते हैं या उन्हें अनाथ आश्रम में छोड़ देते हैं I कई खबरे हम आज की तारीख में देख रहे हैं I जो बुजुर्ग अपने परिवार के लिए जिंदगी भर कष्ठ उठाते हैं उन्हें घर से बेदखल किया जाता हैं I अंध मा बाप को रेलवे स्टेशन पर अकेले छोड़ दिया जाता हैं I समाज में भी अकेले बेसहारा वृद्ध की अवहेलना की जाती हैं I उनके घर, जायदाद हथियाए जाते हैं I नजदीकी रिश्र्तेदार शुरुआत में तो बहुत सहानुभूति दिखाते हैं लेकिन एक बार जायदाद अपने नामपर करवाने के बाद उन्हें घर से निकाला जाता है , पेट भर खाने के लिए भी उन्हें तरसना पड़ता हैं I यह समस्या प्रेमचंद जी ने अपने कहानी साहित्य के द्वारा उजागर की हुई हैं I आज जो गहन समस्या बन गयी है उसे प्रेमचंद जी ने कई साल पहले ही अपने साहित्य का विषय बनाया था I वह एक यथार्थवादी साहित्यकार होने के कारन उनकी कहानीया हमें अपने घर ,आस पड़ोस की कहानीया लगती हैं I उनकी कहानियों से हमें वृद्ध विमर्श की झांकी साफ साफ दिखती हैं I इसी वृद्ध विमर्शका अभ्यास करने हेतु यह शोध आलेख सादर किया जा रहा हैं I |
Keywords | विमर्श , वृद्ध , कृषक , संतानहिन, विधवा |
Field | Arts |
Published In | Volume 6, Issue 1, January-February 2024 |
Published On | 2024-01-04 |
Cite This | मुंशी प्रेमचंद के कहानी साहित्य में चित्रित वृद्ध विमर्श - Savitri Suryakant Mandhare - IJFMR Volume 6, Issue 1, January-February 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i01.11625 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.11625 |
Short DOI | https://doi.org/gtdsb9 |
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