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E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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रसरत्नसमुच्चय का समेकित अवलोकन: एक समीक्षा अध्ययन
Author(s) | Vijay Kumar Jatoliya, Rachana Sharma |
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Country | India |
Abstract | आयुर्वेद के क्षेत्र में रस शास्त्रीय ग्रंथो की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन ग्रंथो में ररसरत्नसमुच्चय का महत्वपूर्ण योगदान है। रसरत्नसमुच्चय 13वीं शताब्दी का एक ग्रंथ है जो आचार्य वाग्भट्ट द्वारा लिखा गया था, जो खनिज और धातु मूल की दवाओं की तैयारी और गुणों से संबंधित एक उपयोगी संकलन है। यह पाठ कीमिया के क्षेत्र में भारतीय विशेषज्ञता की स्थिति पर प्रकाश डालता है, जिसमें धातुओं/खनिजों के निष्कर्षण, शुद्धिकरण, चिकित्सीय रूप से उपयुक्त रूपों में रूपांतरण, कीमिया प्रयोजनों के लिए विकसित किए गए विभिन्न उपकरण और जड़ी-बूटियों-खनिज तैयारियों का उपयोग करके कई बीमारियों के उपचार शामिल हैं। वर्तमान कार्य भारतीय कीमिया के विकास में इसकी उपयोगिता और योगदान को उजागर करने के लिए रसरत्नसमुच्चय की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। अंबिकादत्त शास्त्री द्वारा लिखित सुरतनोज्वला हिंदी टिप्पणी से रसरत्नसमुच्चय की आलोचनात्मक समीक्षा की गई और एकत्रित जानकारी की तुलना रसशास्त्र के अन्य उपलब्ध साहित्य से की गई। वाग्भट्ट द्वारा उल्लिखित कुछ तथ्यों का पता लगाने के लिए आधुनिक विज्ञान के अनुसंधान का भी उपयोग किया गया। रसरत्नसमुच्चय उपलब्ध प्राचीन साहित्य में एक सटीक ग्रंथ है। इसमें आयुर्वेद की सभी आठ शाखाएं शामिल हैं, हालांकि यह मुख्य रूप से रसशास्त्र के चिकित्सीय पहलुओं से संबंधित है और बीमारियों के इलाज में धातुओं और खनिजों के उपयोग पर जोर देती है। इसमें 30 अध्याय का विस्तृत विवरण है। धातुओं और खनिजों का वर्गीकरणय कुछ नए उपकरणों, फॉर्मूलेशन का वर्णन और गर्भावस्था में धातुओं और खनिजों के उपयोग को रोकना रसरत्नसमुच्चय की प्रमुख विशेषताएं हैं। |
Keywords | रसरत्नसमुच्चय, खनिज, धातु, आयुर्वेद, शुद्धिकरण |
Field | Medical / Pharmacy |
Published In | Volume 6, Issue 1, January-February 2024 |
Published On | 2024-01-23 |
Cite This | रसरत्नसमुच्चय का समेकित अवलोकन: एक समीक्षा अध्ययन - Vijay Kumar Jatoliya, Rachana Sharma - IJFMR Volume 6, Issue 1, January-February 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i01.12404 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.12404 |
Short DOI | https://doi.org/gtfmph |
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E-ISSN 2582-2160
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10.36948/ijfmr
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