International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 2 (March-April 2025) Submit your research before last 3 days of April to publish your research paper in the issue of March-April.

गांधी दर्शन में नैतिकता की प्रासंगिकता

Author(s) रीता देवी सिंह, वी.ड़ी.पाराशर
Country India
Abstract वस्तुतः महात्मा गांधी ने किसी नवीन दर्षन की रचना नहीं की है वरन् उनके विचारों का जो दर्षनिक आधार है वही गांधी-दर्षन है। गांधीजी के सम्पूर्ण जीवन मंे हमें भले ही उसका स्वरूप राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, कैसा भी हो आध्यात्मिकता उसका मूल स्वर है। उनका सम्पूर्ण जीवन मानवता की अध्यात्मिक उन्नति में संलग्न रहा है। गांधीजी के चिन्तन में ईष्वर के प्रति अटूट आस्था एवं विष्वास था। उन्होंने ईष्वर को एक़ जीवन्त शक्ति मानते हुये कहा कि हमारा जीवन उसी शक्ति से संचालित है। स्वयं गांधी जी के शब्दों में-’’ईष्वर वर्णन से परे की कोई ऐसी चीज है। जिसे हम अनुभव तो कर सकते है किन्तु जान नही सकते।’’ सत्य को ईष्वर के रूप में परिभाषित करते हुये गांधीजी ने इसे व्यापकता प्रदान की एव ंसत्य में ईष्वर के अनेक लक्षणों जैसे सद़ाचार, नैतिकता, न्याय, अहिंसा एवं प्रेम आदि को समाविष्ट किया।
Keywords गांधी,दर्षन,ईष्वर ,अहिंसा
Published In Volume 6, Issue 1, January-February 2024
Published On 2024-01-30
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.12610
Short DOI https://doi.org/gtghmn

Share this