International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारतीय किसान की लोमहर्षक त्रासदी- “गोदान”

Author(s) कुमारी ममता सिंह, र्डॉ. ममता रानी
Country India
Abstract प्रेमचंद सम्पूर्ण मानव जाति का मंगल- कल्याण चाहने वाले मानवतावादी कलाकार
थे | साहित्य के सम्बंध में उनकी मान्यता थी- “अब साहित्य केवल मन-बहलाव
की चीज़ नहीं है | मनोरंजन के सिवाय उसका और भी कुछ उद्धेश्य है | अब वह
केवल नायक-नायिका के संयोग-वियोग की कहानी नहीं सुनाता, किंतु जीवन की
समस्याओं पर भी विचार करता और उन्हें हल करता है | अपनी इस मान्यता के
अनुसार उपन्यासों में विविध चरित्रों के चित्रण के माध्यम से प्रेमचंद ने जीवन की
समस्याओं पर विचार किया | प्रेमचंद उपन्यास को मानव-चरित्र का चित्र समझते
हैं | भारतीय किसान कैसा होता है, उसे कैसी- कैसी विपत्तियाँ सहन करनी पडती
हैं,यह बताने के लिए प्रेमचंद ने “गोदान” में होरी की कल्पना की है और उसके
माध्यम से भारतीय किसान की लोमहर्षक जीवन का वर्णन किया है |
Keywords भारतीय किसान ,ग्रामीण जीवन, शोषण तथा ऋण की समस्या,
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January-February 2024
Published On 2024-01-30
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.12673
Short DOI https://doi.org/gtghkx

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