International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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प्रकृति पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पर्यावरणीय संचेतना

Author(s) निशान्त उपाध्याय
Country India
Abstract मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक काल से आज तक जितने भी लोकनायक हुए हैं राम इन सभी में महानायक हैं। लोकदृष्टा तुलसीदास का मानना है कि सभी प्राणियों में साक्षात् राम आत्मवत् हैं वही जीवन के केन्द्र में है, सारा संसार उनकी रचनात्मक चेतना का प्रतिबिम्ब है। अयोध्या नगरी से प्रारंभ हुई युवराज राम की जनचेतना की सांस्कृतिक यात्रा में प्रकृति का भरपूर योगदान रहा है। यह लोक जागरण यात्रा कई नदियों के किनारे विभिन्न भाषा-भाषी अनेक जातियों को जोड़ती हुई, अनेक पर्वतमालाओं और गंगा-यमुना के मैदानों से गुजरती हुई दण्डकारणय, पंचवटी, किष्किन्धा और रामेश्वरम् होती हुई श्रीलंका पहुँचती है इसमें लोक जीवन, लोक संस्कृति और प्रकृति के उपहारों का त्रिवेणी संगम प्रतीत होता है। इस संस्कृति यात्रा में राज सत्ता पर लोकजीवन का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
Keywords मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक काल से आज तक जितने भी लोकनायक हुए है, राम इन सभी में महानायक है.
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January-February 2024
Published On 2024-02-04
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.13028
Short DOI https://doi.org/gtgs4j

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