International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारत में मेक इन इंडिया की संकल्पना की दिशा एवं दशा एक अध्ययन

Author(s) REKHA NAYAK
Country India
Abstract भारतीय अर्थव्यवस्था को उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में रखा जाता है। क्योंकि भारत में आर्थिक सुधारों (1991) के पश्चात् उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है, जिस कारण अर्थव्यवस्थाओं की संवृद्धि दर वर्तमान में लगभग 7.5 फीसदी बनी हुई है। साथ ही कृषि क्षेत्र की अपेक्षा उद्योग और सेवा क्षेत्र का योगदान भी निरंतर बढ़ रहा है। ‘मेक इन इण्डिया‘ (भारत में बनाओ) योजना के वांछित लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए आवश्यक है कि इसमें स्थानीय उद्यमी, विदेशी निवेशक तथा अर्न्राष्ट्रीय संगठन आवश्यक सहयोग करें। इसके साथ ही भारत के पड़ौसी देश भी सराहनीय सहयोग प्रदान करें। उक्त सभी तत्व मुक्त हस्त सहयोग प्रदान करेंगे तब ही इस योजना की दिशा तय होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब इस योजना का सितम्बर 2014 में शुभारम्भ किया था उस अवसर पर भारत के ख्याति-लब्ध उद्योगपति भी उपस्थित थे। योजना के सन्दर्भ में इन्होंने अत्यधिक रूचि प्रदर्शित की थी तथा तत्काल निवेश की राशि की भी घोषणा की थी। कई देशों ने इस पहल में आश्वासन दिया तथा निवेश हेतु अपने हाथ आगे बढाए।
संयोग अथवा दुर्संयोग देखिए उसी दिन पड़ौसी देश चीन ने भी ‘मेक इन चाइना‘ कार्यक्रम का आरम्भ किया था। भारत का उद्देश्य विदेशी वस्तुओं के आयात को कम करना तथा निर्यात को प्रोत्साहिन देना है। यह तभी सम्भव हो सकता है जब भारत एक ‘‘मैन्युफेक्चरिंग हब’’ बने। इसका आशय यह नही है कि भारत विदेशी माल के आयात का विरोधी है, लेकिन भारत चाहता है कि मुक्त-व्यापार में भारतीय अर्थव्यवस्था को घाटा नही होना चाहिए। अतः भारतीय नीति-निर्माताओं ने भारत में निर्मित माल को विदेशों में निर्यात के उद्देश्य से ‘‘भारत में बनाओ’’ योजना को आधार बनाया।1 पड़ौसी देशों के साथ भी भारत ने कई समझौते एवं करार किये हैं। इनमें अफगानिस्तान, चीन, जापान कोरिया है। उक्त सभी तथ्य योजना की भावी सफलता के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। प्रस्तुत आलेख में इन सभी तथ्यों को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया जा रहा है।
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 2, March-April 2024
Published On 2024-03-09

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