International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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योग शिक्षा विद्यालयी शिक्षा में वरदान या अभिशाप

Author(s) प्रीति शर्मा
Country India
Abstract योग का मूल उद्देश्य मनुष्य के व्यक्ति का सम्यक विकास है, जो प्राचीन भारतीय संस्कृ ति और समाज में विद्यमान है। योग शिक्षा से विद्यार्थी अपने शरीर, मन और बुद्धि को स्वस्थ रखने और विकसित करने के साथ-साथ इस तनावपूर्ण और चुनौतीपूर्ण जीवन को सरल और आसान बना सकते हैं। विद्यालय में योग शिक्षा को शामिल करना और उसे सही तरीके से लागू करना आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी प्रारंभिक शिक्षा काल से शांत, खुश और सफल हो सकें।
Keywords शैक्षिक सफलता, सृजनात्मक काम, आत्मनियंत्रण, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्मरणशक्ति
Field Sociology > Education
Published In Volume 6, Issue 2, March-April 2024
Published On 2024-03-20
Cite This योग शिक्षा विद्यालयी शिक्षा में वरदान या अभिशाप - प्रीति शर्मा - IJFMR Volume 6, Issue 2, March-April 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i02.15204
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i02.15204
Short DOI https://doi.org/gtnj93

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