International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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कामायनी की भावधर्मिता

Author(s) किरण कुमारी
Country India
Abstract छायावाद के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद ने कविता को द्विवेदी युगीन इतिवृत्तात्मकता से मुक्त कर कल्पना, अनुभूति, प्रणय तथा प्रकृति का आनंद लेने के लिए छोड़ दिया। प्रसाद की अंतिम कृति कामायनी है जो छायावाद युग की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जा सकती है। कामायनी का प्रत्येक सर्ग मानव की वृत्तियों पर आधारित है। इन वृत्तियों का बहुत ही सुन्दर मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है। इस भाव निरूपण में मूर्तिमत्ता का समावेश भाव को साकार कर के उसके प्रभाव को द्विगुणित कर देता है।
Keywords छायावाद, जयशंकर प्रसाद, कामायनी, रहस्यवाद,समसामयिक स्थिति, भावना, श्रद्धा, लज्जा, भावचित्र।
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-03-09
Cite This कामायनी की भावधर्मिता - किरण कुमारी - IJFMR Volume 5, Issue 2, March-April 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1826
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1826
Short DOI https://doi.org/grwsr6

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