International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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स्वातंत्र्योत्तर पृष्ठभूमि में मानवीय अस्मिता और भू-राजनीति(रेणु के उपन्यास ' मैला आंचल' तथा ' परती परिकथा' के विशेष संदर्भ में।)

Author(s) Manika Panda
Country India
Abstract प्रस्तुत शोधपत्र में फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास का वैचारिक परिप्रेक्ष्य स्वतंत्रता के पृष्ठभूमि में एक दृष्टिकोण देने का प्रयास है। जिस प्रकार हम सभी जानते हैं कि रेणु का लेखन शैली कुछ हद तक प्रेमचंद व शरदचंद्र से प्रभावित था ही परंतु वह परवर्ती पर्याय में कैसे गांधी और नेहरू के भावबोध को स्पष्ट करते हुए दिखाई देती है तथा मानवीय कल्पना में जो छवि अंकित किया गया था उसकी टूटन व अस्मिताओं का भार कैसे साधारण जनता को उठना पड़ता है ,और स्वतंत्र भारत में पराधीन विचारधारा का आधार बनाता हुआ विचार ग्रामीण यथार्थ की ओर उपन्यास साहित्य को मोड़ता है।यह यथार्थ के आयाम ही मैलाआंचल को राष्ट्र का रूपक बना देता है तथा परती परिकथा में स्वतंत्रोत्यर नवोन्मेष चेतना से बहुजनो को स्वतंत्र अर्थ का आभास देता हुआ दिखाई देता है । परिकथा का फलक बहुत व्यापक है। कथाकार बंध्या जमीन की भौगोलिक वर्णन से लेकर दंतकथाओं के उद्धरण द्वारा गांव की परिवेश और भूमि के वास्तविक हकदार का अन्वेषण किए हैं ।
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-04-28
Cite This स्वातंत्र्योत्तर पृष्ठभूमि में मानवीय अस्मिता और भू-राजनीति(रेणु के उपन्यास ' मैला आंचल' तथा ' परती परिकथा' के विशेष संदर्भ में।) - Manika Panda - IJFMR Volume 5, Issue 2, March-April 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i02.18492
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i02.18492
Short DOI https://doi.org/gtrsrs

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