International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 4 July-August 2024 Submit your research before last 3 days of August to publish your research paper in the issue of July-August.

स्वतंत्रता के बाद भारत में पंचायती राज व्यवस्था

Author(s) Rani Devi
Country India
Abstract पंचायत भारतीय समाज की बुनियादी व्यवस्थाओं में से एक हैं। देश भर में लगभग 5 लाख 80 हजार गाँव हैं। बढ़ते नगरीकरण व औद्योगीकरण के बावजूद देश की तीन चैथाई जनता ग्रामों में निवास करती है । इन आँकड़ों के माध्यम से सरकार ने माना कि निर्धनता को दूर करने तथा देश में चहुँमुखी विकास के लिए पंचायती राज प्रणाली देश की एक आवश्यकता है । पंचायती राज प्रणाळी का लोकतन्त्र में बहुत ही महत्व हैं। पंचायती राज का उद्देश््य ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय लोकतन्त्र को मजबूत करना हैं। भारत में स्थानीय स्वशासन का एक इतिहास रहा हैं। अंग्रेजों के शासन में लार्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने का प्रयास किया था। जब तक देश में पंचायती राज प्रणाली को सक्षम नहीं बनाया जाता है तब तक देश के असंख्य निर्धन परिवारों तक विकास का वास्तविक लाभ नहीं पहुँचाया जा सकता है। पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से ही राष्ट्र में व्याप्त आर्थिक असामानता को दूर किया जा सकता है एवं तभी हम अपनी सामाजिक न्याय की अवधारणा को साकार रूप दे सकते हैं ।
Keywords स्वतंत्रता , पंचायती राज
Field Sociology > Administration / Law / Management
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-03-12
Cite This स्वतंत्रता के बाद भारत में पंचायती राज व्यवस्था - Rani Devi - IJFMR Volume 5, Issue 2, March-April 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1858
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1858
Short DOI https://doi.org/gr2kqn

Share this