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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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सतत् विकास लक्ष्य के अर्न्तगत मानवाधिकार तथा शिक्षा के अधिकार की प्रासंगिकता

Author(s) सरिता, प्रियदर्शिनी पुरोहित
Country India
Abstract सतत् विकास एक ऐसा विकास है, जो हमारी भावी पीढियों की जरूरतों को पूरा करने की योग्यता को प्रभावित किये बिना वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पूरा करता है। सतत् विकास लक्ष्य में 17 लक्ष्यों को शामिल किया गया है, जिसमें 4 लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। इसका उद्देश्य सबके लिए समान, सुरक्षित, न्यायसंगत, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा हासिल करना हैं। मानव विकास रिपोर्ट (2021-2022) में भारत 191 देशों और क्षेत्रों में से 132वें स्थान पर है।
भारत में मौलिक अधिकार ही मानवाधिकार है। जो दुनिया के सभी नागरिकों पर लागू होते है, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, जन्म स्थान या लिंग के हों। भारत के संविधान में भाग-3 में मौलिक अधिकारों के रूप में अधिकार प्रदान किए गए हैं। संविधान भारतीय नागरिकों को छह मौलिक अधिकारों की गारन्टी देता हैरू ’समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार। शैक्षिक उपकरण सबसे शक्तिशाली उपकरण है। शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद 21(।), 45, संशोधन 86 (2002) तथा अधिनियम (2009) आदि मे शामिल किया गया है। सतत् विकास लक्ष्य तथा शिक्षा के अधिकार का उद्देश्य सभी लोगों को समान शिक्षा देना है लेकिन वास्तविक स्थिति से पता चलता है कि शैक्षिक प्रगति की राह में अनेक समस्याएं है, शहरी क्षेत्रों में स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालयों की संख्या ज्यादा होती हैं। वही दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी संख्या कम होने के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शिक्षा सरकार के द्वारा ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ को लाया गया हैं। इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा के स्तर, व्यक्तिगत शैक्षिक क्षमता तथा सामाजिक विकास को बढ़ाना हैं।
Keywords मानवाधिकार, सतत् विकास लक्ष्य, शैक्षिक अधिकार, मौलिक अधिकार
Field Sociology > Education
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-03-12
Cite This सतत् विकास लक्ष्य के अर्न्तगत मानवाधिकार तथा शिक्षा के अधिकार की प्रासंगिकता - सरिता, प्रियदर्शिनी पुरोहित - IJFMR Volume 5, Issue 2, March-April 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1888
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i02.1888
Short DOI https://doi.org/gr2kpz

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