International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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कमज़ोर वर्ग के शोषण की विभीषिका- “ठाकुर का कुआँ”

Author(s) कुमारी ममता सिंह
Country India
Abstract हिन्दी कहानियों के विकास के इतिहास में प्रेमचंद का आगमन एक महत्पूर्ण घटना है. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से समाज का पूरा परिवेश उसकी कुरूपता, असमानता, छुआछूत, शोषण की विभीषिका, कमज़ोर वर्ग और स्त्रियों का दमन जैसे कुरीतियों को व्यक्त किया है. उन्होंने सामान्य आदमी का जीवन बहुत ही नज़दीक से देखा था खुद उस जीवन को भोगा भी था. यही वजह है कि उनकी कहानियाँ यर्थात से जुड़ी होती थी. प्रेमचंद ने ‘ठाकुर का कुआँ’ कहानी के माध्यम से हमारे समाज में व्याप्त जातिप्रथा की सबसे घृणित परंपरा छुआछूत के कारण तिरस्कार, अपमान और मानवीय अधिकारों से वंचित जीवन जी रहे अछूतों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बयां किया है. ‘ठाकुर का कुआँ’ स्वच्छ पानी के लिए तरसते अछूत जीनव की वास्तविक कहानी है.
Keywords जाति-प्रथा और छुआछूत, दलित अस्मिता का आंदोलन, स्त्री के जातिगत शोषण का चित्रण
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-04-09
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i02.2178
Short DOI https://doi.org/gr4k4n

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