International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 6 November-December 2024 Submit your research before last 3 days of December to publish your research paper in the issue of November-December.

आध्यात्मिक शिक्षा जीवन जीने की कला : एक अध्ययन

Author(s) Ramesh Chand Verma
Country india
Abstract वर्तमान युग में भौतिकवाद का वर्चस्व है। जिसमें जिन्दगी द्रुत गति के साथ दौड़ रही है। भौतिक दृष्टि से शान्ति की सम्भावना समाप्त हो जाने पर चिन्तनशील मानव ने ऐकान्तिक एवं आत्यन्तिक शान्ति के निमित्त जिस शास्त्र को विकसित किया वही शान्तिशास्त्र कहलाता हैं। आज अमेरिका, चीन, फ्रांस, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत सभी देशों में शान्ति की सम्भावना समाप्त हो रही है। सर्वप्रथम कार्य की निर्विघ्न समाप्ति के लिए शान्त तेज रूप वाले परम पिता परमात्मा को नमस्कार करता हूँ। ईश्वर को अनेक ग्रन्थों में शान्त स्वरूप वाला कहा गया है तथा आध्यात्मवाद, निर्वाण, मोक्ष में सभी शान्ति के परिचायक है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् की कार्यकारिणी सभा बुलाई गई। इस सभा में यह निर्णय लिया गया कि 21वीं शताब्दी के लिए नई राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा तैयार की जाये। यह रूपरेखा आगे चलकर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा नामक शीर्षक से दिसम्बर 2005 में प्रकाशित हुई। एन0सी0एफ0 ने 21वीं सदी को भौतिकवाद की संज्ञा दी। जिसमें विकास, नवीनीकरण आदि का वर्चस्व दिखाई देता है परन्तु कहीं ना कहीं शान्ति का अभाव दिखाई दिया। इसलिए एन0सी0एफ0 ने शान्ति शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया। वर्तमान में वैश्विक, राष्ट्रीय एवं स्थानीय, प्रत्येक स्तर पर हिंसा का बोलबाला है। अतः समाज में शान्ति स्थापित करने में शिक्षा के महत्व को देखते हुए छात्र छात्राओं को शान्ति शिक्षा दी जानी आवश्यक हैं। शान्ति शिक्षा इस प्रकार दी जानी चाहिए जिससे छात्र-छात्राओं में शान्ति के प्रति अनुराग पैदा हो, उनमें सहनशक्ति, न्यायप्रियता और आपसी समझ बढ़े तथा सामाजिक उत्तरदायित्व का विकास हो। इस हेतु महापुरूषों की जीवनी एवं कहानी आदि का श्रवण तथा परिचर्या आयोजित की जा सके।
शान्तिया आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः।2
अर्थात् शान्ति के द्वारा ही प्राणी स्वयं का आत्मसाक्षात्कार कर सकता हैंे।
नैतिकता और वैश्विक शांति के लिए मूल्य शिक्षा
विद्या धनम् सर्वधनम् प्रधानम्।3
शान्ति धनम् सर्वधनम् प्रधानम्।।
Field Sociology > Philosophy / Psychology / Religion
Published In Volume 5, Issue 2, March-April 2023
Published On 2023-04-12
Cite This आध्यात्मिक शिक्षा जीवन जीने की कला : एक अध्ययन - Ramesh Chand Verma - IJFMR Volume 5, Issue 2, March-April 2023.

Share this