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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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अशोक के वृहत् शिलालेखों में वर्णित ‘लोक जीवन’

Author(s) Dr. Garima Bharti
Country India
Abstract शोधसार :- चौथी से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में जिस प्रमुख साम्राज्य ने एक अखंड भारत की नींव रखी वह मौर्य साम्राज्य के नाम से जाना जाता है। इस वंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा की गयी थी परंतु इस वंश के एक प्रमुख शासक ने तत्कालीन देश की गतिविधि और विचारधारा को अप्रतिम रूप से परिवर्तित कर दिया, इतिहास में वह शासक ‘देवानंप्रिय अशोक’ के नाम से विख्यात हुआ। अशोक ने अपने शासन काल में अनेक लेख लिखवाए, यह लेख मुख्यतः उसके साम्राज्य के सीमाओं एवं प्रमुख नगरों में उत्कीर्ण थे। इन अभिलेखों से तत्कालीन मौर्य साम्राज्य के संपूर्ण परिदृश्य पर प्रकाश पड़ता है। इन अभिलेखों को सर्वप्रथम पढ़ने का श्रेय जेम्स प्रिंसेप को जाता है जिन्होंने 1837 में अशोक के शिलालेखों पर एक लेखमाला का प्रकाशन किया।अशोक के लेखों से अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियों पर प्रकाश पड़ता है जैसे- प्रशासनिक व्यवस्था, अशोक का धम्म, कलिंगयुद्ध, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन। इन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के साथ तत्कालीन लोकजीवन पर भी समग्र दृष्टि प्राप्त होती है कि मौर्य काल में समाज में कौन सी प्रथाएँ प्रचलित थी, लोगों के सोचने का नज़रिया कैसा था, अशोक अपनी प्रजा से क्या अपेक्षाएँ रखता था एवं किस प्रकार के सामाजिक मूल्यों की अपेक्षा वह अपने समाज से कराता था। इस उद्देश्यसे प्रस्तुत शोध में अशोक के अभिलेखों विशेषकर वृहद् शिलालेखों में वर्णित लोकजीवन का किस प्रकार वर्णन मिलता है, का उल्लेख किया गया है।
Keywords अशोक, वृहद् शिलालेख,लोकजीवन,अहिंसा पर बल,चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख, नैतिक नियमों के अनुपालन हेतु प्रशासनिक तंत्र का गठन, आदर्शवादी समाज की कल्पना, सभी सम्प्रदायो में सौहाद‌र्य, अत्यधिक उत्सव, मंगलाचारण पर संयम, युद्ध पर रोक
Published In Volume 6, Issue 3, May-June 2024
Published On 2024-06-25
Cite This अशोक के वृहत् शिलालेखों में वर्णित ‘लोक जीवन’ - Dr. Garima Bharti - IJFMR Volume 6, Issue 3, May-June 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i03.22813
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i03.22813
Short DOI https://doi.org/gt2448

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