International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 2 (March-April 2025) Submit your research before last 3 days of April to publish your research paper in the issue of March-April.

Rastriya Shiksha Neeti - 2020 Mein Vyavasayik Evam Rojgarparak Shiksha Ka Ek Adhyayan

Author(s) Dharmesh Srivastava, Ajay Kumar Govind Rao
Country India
Abstract वर्तमान शिक्षा प्रणाली में शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी के अतिरिक्त प्रशासन व व्यवसाय जैसे अन्य तत्वों के समाविष्ट हो जाने से इसकी दशा और दिशा में एक गम्भीर परिवर्तन दृष्टिगोचित होता है जिसका मूल उद्देश्य अक्षर ज्ञान से आरम्भ होकर जीविकोपार्जन के किसी साधन तक सीमित होकर रह गया है। जिसके चलते न केवल मनुष्य का सर्वांगीण विकास बाधित हुआ है अपितु इस बाधा ने मानवीय सभ्यता का दमन कर समाज में विभिन्न प्रकार के दुष्कृत्यों, कुण्ठाओं व वैमनस्य का बीजारोपण भी किया जो आगे चलकर एक वृहद् सामाजिक समस्या का स्वरूप अख्तियार कर चुकी है जिसमें मानवीय मूल्यों व उसकी नैतिक चेतना का हनन, भाषावाद, क्षेत्रवाद, साम्प्रदायवाद इत्यदि पूर्वग्रह से प्रेरित हो नीति/अनीति का निर्धारण, भ्रष्टाचार व विभिन्न रुपों में मानवीय कुकृत्य देखे जाते हैं।
निःसन्देह वर्तमान शिक्षा पद्धति की उपयोगिता के आधार पर अपनी मूलभूत विशिष्टताएॅ हैं किन्तु यह विशिष्टता मानव की भौतिक व केवल अर्थिक तत्व के रूप में व्याख्या कर उसे आत्मविहिन यन्त्रवत मानव के तौर पर स्थापित करने की तरफ उन्मुख है, साथ ही इसी भौतिकता से प्रेरित हो समाज में संसाधनों पर आधिपत्य की प्राप्ति व उसे कायम रखने हेतु न केवल सामाजिक कलह को बढ़ावा मिला अपितु विभिन्न वर्गों के रुपमें समाज के वर्गीय संरचना का जन्म भी हुआ। जबकि निश्चित तौर पर शिक्षा की मूल प्रकृति असमानता, विघटन, घृणा व कलह से रहित मानवीय पीढ़ी के भीतर विद्यमान गुणों को विकसित करते हुए उसे पूर्णता प्रदान करना व स्वयं का आत्म साक्षात्कार कराना है।
Keywords राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, व्यावसायिक एवं रोजगारपरक शिक्षा।
Published In Volume 6, Issue 4, July-August 2024
Published On 2024-07-07
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i04.22902
Short DOI https://doi.org/gt3xnh

Share this