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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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आधुनिक शासन में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्रह सिद्धांतों की प्रासंगिकता

Author(s) Gopal Prasad, Jitendr Prajapati, Dr. Samrendr Bahadur Sharma
Country India
Abstract आज हम एक बार फिर आधुनिक शासन व्यवस्था में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्रह सिद्धांतों की प्रासंगिकता को अनुभव करने लगे है। आज की भ्रष्ट शासन व्यवस्था, मूल्यहीनता, गैर-जवाबदेही एवं अपारदर्शिता ने हमें हर तरह से निराश किया है। गाँधी चिंतन के अनुकरण से हम राष्ट्रीय जीवन में व्याप्त हिंसा, घृणा, अविश्वास और भ्रष्टाचार पर टिकी आधुनिक शासन व्यवस्था के विभिन्न दोषों को सरलता से दूर कर सकते है । शासन का संबंध एक देश के सभी स्तरों पर मामलों का प्रभावकारी प्रबंधन से है, यह क्षेत्रीय अखंडता, स्वतन्त्रता, सुशासन, सर्वांगीण विकास जनता की सुरक्षा और सम्पूर्ण जनकल्याण पर बल देता है और लोक में संवेदना का भाव संचार करता है। महात्मा गाँधी का उद्देश्य किसी नए दर्शन का विकास करना नहीं था। किन्तु ऐसा कोई पहलू नहीं जिसपर उन्होने विचार नहीं किया हो, चाहे वह राजनीतिक पहलू हो या सामाजिक, धार्मिक हो या आर्थिक, इत्यादि विषयों पर विचार मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इनके सभी पहलुओं का आधार एक ही है वह है नैतिकता एवं अहिंसा। गाँधी जी के सत्याग्रह की खूबी यही है कि व्यक्ति को इसकी कहीं बाहर जाकर खोज नहीं करनी पड़ती वह उसके सामने स्वयं आ खड़ा होता है। स्वयं सत्याग्रह के सिद्धान्त में ही यह गुण अंतर्निहित है। आधुनिक शासन व्यवस्था में पूर्ण जवाबदेही, पारदर्शिता एवं सुशासन तभी संभव है जब हम गाँधी के नैतिकता, अहिंसा और सत्याग्रह सिद्धांतो को अंगीकार करें।
Keywords आधुनिक शासन, नैतिकता, अहिंसा, सत्याग्रह, जवाबदेही, पारदर्शिता, ईमानदारी, मूल्यहीनता, सुशासन
Field Sociology > Politics
Published In Volume 6, Issue 4, July-August 2024
Published On 2024-07-23
Cite This आधुनिक शासन में गाँधीवादी नैतिकता, अहिंसा एवं सत्याग्रह सिद्धांतों की प्रासंगिकता - Gopal Prasad, Jitendr Prajapati, Dr. Samrendr Bahadur Sharma - IJFMR Volume 6, Issue 4, July-August 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i04.25054
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i04.25054
Short DOI https://doi.org/gt43rf

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