International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 6 November-December 2024 Submit your research before last 3 days of December to publish your research paper in the issue of November-December.

प्रेमचंद साहित्य में सद्भाव एवं वर्तमान समय-(साम्प्रदायिकता के विशेष सन्दर्भ में)

Author(s) Deepak Singh
Country India
Abstract प्रस्तुत शोध-पत्र में ‘सदभाव’ को विभिन्न सन्दर्भों के साथ साम्प्रदायिकता के विशेष सन्दर्भ में देखने का प्रयास किया गया है | भारत एक बहुलतावादी देश है ऐसे में बहुतेरे ऐसे तत्व हैं जो सामाजिक सदभाव को चुनौती देते रहते हैं | इस चुनौती का सामना करने हेतु साहित्य एक बड़ा औजार है | प्रेमचंद ने अपने सम्पूर्ण साहित्य में साम्प्रदायिकता की राजनीति को एक ऐतिहासिक दृष्टि के साथ चुनौती दी है | साम्प्रदायिकता हमेशा संस्कृति को एक ढाल की तरह इस्तेमाल करती है ऐसे में संस्कृति की स्पष्ट अवधारणा को समझना बहुत आवश्यक है |प्रेमचंद का रचनाकर्म हमें बताता है कि साम्प्रदायिकता एक गैर ऐतिहासिक या कहें गढ़े गए इतिहास पर आधारित होती है तथा सामाजिक ताने-बाने को सिर्फ हानि ही पहुचती है |
Keywords सदभाव, भारतीयता, साम्प्रदायिकता, वर्णाश्रम धर्म, राजनीति, हिन्दू-मुस्लिम, बुद्धिजीवी, इतिहास, कर्बला, द्विराष्ट्र,
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 4, July-August 2024
Published On 2024-08-23
Cite This प्रेमचंद साहित्य में सद्भाव एवं वर्तमान समय-(साम्प्रदायिकता के विशेष सन्दर्भ में) - Deepak Singh - IJFMR Volume 6, Issue 4, July-August 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i04.26402
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i04.26402
Short DOI https://doi.org/gt8g6b

Share this