International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 2 (March-April 2025) Submit your research before last 3 days of April to publish your research paper in the issue of March-April.

सर्वोच्च न्यायालय बनाम भारत सरकारः- मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचूड़ के फैसलों के विषेष सन्दर्भ में

Author(s) Rakesh Verma
Country India
Abstract संक्षिप्तीकरणः-1947 में भारत औपनिवेशिक ताकतों के चंगुल से पूर्णतः मुक्त हुआ। इससे पूर्व अंग्रेजी हुकुमत द्वारा भारत के बंगाल के फोर्ट विलियम में 1774 में 1773 के रेंग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की जा चुकी थी। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ और संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण के साथ ही 26 जनवरी 1950 को सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में आया। वर्तमान भवन(1958) में आने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय की समस्त गतिविधियाँ संसद भवन से संचालित होनी थी। 28 जनवरी 1950 को सर्वोच्च न्यायालय का विधिवत उद्घाटन किया गया। संविधान बनने के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश समेत 7 अन्य न्यायाधीशों की व्यवस्था की गई थी। समय≤ पर न्यायाधीशों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई। जैसे 1956 में 11, 1960 में 14, 1978 में 18, 1986 में 26, 2009 में 31 और 2019 में 34 की गई। मेरा इस लेख को लिखने का निमित्त यह है कि भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के मुद्रा और हस्ताक्षरों के द्वारा होती है। भारत में विविध समय और कालों में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कार्यपालिका और न्यायपालिका में द्वन्द्व देखा गया है। इस द्वन्द्व में जहां सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाई तथा कहीं मौकों पर व्यवस्थापिका ने कानून बनाकर अपने आपको सर्वोच्च संस्था के रूप में प्रकट करने में कोई कोर-कसर नही छोड़ी। भारतीय संसद ब्रिटेन की संसद की तरह संप्रभु नही है, लेकिन कही बार अपने निर्णयों से संसद और न्यायपालिका में टकराव देखने को मिलता है। संवैधानिक दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक बताया गया है जो वास्तव में है या नही का उत्तर ढूंढ़ना आलेख का प्रमुख उद्देश्य है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंतराव चंद्रचूड़ ने कई मौकों पर देश के सामने इस बात को प्रकट किया है कि सर्वोच्च न्यायालय न केवल संविधान का संरक्षक ही है वरन् सरकारों को कई बार आईना दिखाने का काम भी करता है।
Keywords सर्वोच्च न्यायालय, न्यायाधीश, व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, चुनाव, चयन, कॉलेजियम, संविधान संशोधन, स्वतंत्रता, न्यायिक निर्णय, संवैधानिक पृष्टभूमि, सम्प्रभुत्ता इत्यादि।
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 5, September-October 2024
Published On 2024-09-26
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i05.27209
Short DOI https://doi.org/g59zxb

Share this