International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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मीरा एक विचार : समीक्षात्मक अध्ययन

Author(s) Om Prakash Rathour
Country india
Abstract मीरा राजस्थान के मेवाड़ राजघराने की बधू और मेड़ता राजघराने कीकन्या थी। राजपूताना में विषेष तौर पर महिलाओं की आजादी परअंकुष था। पति की मृत्यु के उपरांत पत्नी को आमतौर पर पति कीचिता में कूदकर सती होने की प्रथा थी। लेकिन क्रांतिकारी विचारकी मीरा ने इन सब बंधनों को तोड़ते हुए सती प्रथा का न केवलविरोध किया बल्कि वैधव्य जीवन जीते हुए राजमहल की चारदीवारीसे बाहर निकलकर प्रेममय भक्ति में लीन होते हुए श्रीकृष्ण को पतिरूप में न केवल स्वीकार की बल्कि श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए शृंगारभी करने लगी। इन सबसे परिवार के लोग रूष्ट भी हुए और उनकादेवर तो विष का प्याला भी मीराबाई के लिए भेज दिया।विभिन्न समस्याओं और कठिनाईयों को झेलते हुए मीराबाई सामाजिकऔर धर्मिक दोनों परंपरागत बंधन को तोड़ते हुए नई राह पर चलनेका साहसिक कदम उठाया। मीरा हर प्रकार से दुःखी रहीं। उनकाजीवन चिर विरहमयी रहा। जीवन में वह जो न पा सकीं उसे वहभक्ति में पाना चाहती है, किन्तु जीवन दर्द भुलाए नहीं भूलती। अतःसंयोग का गीत गाते-गाते मीरा विरहमयी हो उठती हैं। भक्ति में भीउन्हें चैन नहीं। उन्हें कुल-कलंकिनी कहा जाता है। उनकी हत्या काषड्यंत्र होता है। इसलिए मीरा ने भक्ति के लिए जिस प्रेम की साधनाकी, वह प्रेम बराबर समस्यामूलक रहा। मीरा के पदों में जो उल्लासहै, वह भक्ति की देन है और जो वेदना है, वह जीवन से प्रसूत है।मीरा के जीवन की अनंत कठिनाईयाँ उनकी काव्य में प्रस्फूटित हुईहै। मीरा के इन्हीं भक्तिभावना की पड़ताल करने की एक कोषिषहै।
Keywords भवसागर, आत्मनिवेदन, ऐषवर्यषाली, समस्यामूलक स्पृहणीय, भावजगत, सात्विक, माधुर्य,, भर्त्सना, परिप्रेक्ष्य, प्रामाणिक आदि।
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-16
Cite This मीरा एक विचार : समीक्षात्मक अध्ययन - Om Prakash Rathour - IJFMR Volume 5, Issue 3, May-June 2023.

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