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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारत में जनसंख्या का बढ़ता भार और जल संकट :एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author(s) Guman Singh Jatav
Country India
Abstract इस समय भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी हेतु मा़त्रा चार प्रतिशत जल है। जल एक अतिमहत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। सामान्य जल रासायनिक रूप से उदासीन होता है। इसका पी-एच मान 7 होता है अर्थात् यह न तो अम्लीय होता है और न ही क्षारीय। प्रदूषित जल में रसायन एवं कई तरह की घातक भारी धातुएं मिली रहती हैं। भारी धातुएं प्रकृति में प्रथ्वी के आरम्भ काल से ही पायी जाती हैं। भारी धातुओं से अभिप्राय उन धातुओं से होता है जिनका घनत्व 5 ग्राम प्रति घन सेमी से अधिक या परमाणु संख्या 20 से अधिक है जैसे - आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम, क्रोमियम, निकिल, जिंक एवं पारा आदि। जल में इनकी अधिक मात्रा मानव, पशु एवं पेड़-पौधों के लिए हानिकारक है। निर्धारित स्वीकार्य मात्रा से अधिक मात्रा में यह धातुएं जल के माध्यम से शरीर में पहुंचने पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं,
मानव अस्तित्व के लिए हवा और पानी प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। इनके अभाव में जीवनयापन असम्भव है। बढ़ती जनसंख्या द्वारा प्राकृतिक जल संसाध्नों पर अत्यध्कि बोझ है एवं औद्योगीकरण व मानव के प्रकृति विरुद्ध क्रियाकलापों ने इसे और भी गम्भीर बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 22 मार्च को विश्व जल दिवस घोषित करते हुए शद्ध पानी की किल्लत की तुुलना ‘टाईम बम’ से करते हुए एक बडे़ खतरे के प्रति आगाह किया है। हाइड्रोलॉजी पॉलिसी व अन्य नीतियों के माध्यम से समय रहते इस समस्या का समाधन करना होगा। इस समस्या के समाधन हेतु व्यापक प्रयास न किये गये तो भविष्य में पेयजल समाप्त हो जाएगा तथा मानव जीवन पर गम्भीर संकट उत्पन्न हो जाएगा।
सरकार के साथ ही जनसामान्य को इस संकट के विषय में विचार करना होगा तथा प्राकृतिक संसाध्नों के संरक्षण, पोषण एवं पुनर्भरण द्वारा इस संकट को कम करने हेतु प्रयास करना होगा।
Keywords जल संकट, प्राकृतिक संसाध्न, भारी धतुएं, पेय जल, प्रदूषित जल, जल संक्रमण जनित रोग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, हाइड्रोलॉजी पॉलिसी।
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-16
Cite This भारत में जनसंख्या का बढ़ता भार और जल संकट :एक विश्लेषणात्मक अध्ययन - Guman Singh Jatav - IJFMR Volume 5, Issue 3, May-June 2023.

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