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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारत में ग्रामीण विकास की अवधारणा : सरकारी एवं निजी प्रयास

Author(s) Ms. Sanju Kumari
Country india
Abstract विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत जनसंख्या वाला देश भारत गांवों का देश है। इसकी जनसंख्या 1.30 करोड़ के लगभग है देश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत जनसंख्या गॉवों में निवास करती है। उसमें से 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर हैं। कृषि उत्पादन से ही मानव, पशु-पक्षी सभी की आवश्यकताओं की पूर्ती होती है। देश की जी.डी.पी. में भी 14.6 प्रतिश कृषि का ही योगदान है। सरकार के बजट पर भी कृषि उपज का सीधा प्रभाव पड़ता है। फसल ओलावृष्टि,अतिवृष्टि,अकाल,बाढ इत्यिादि से प्रभावित होती है और उसका सीधा असर जनता को महँगाई के रूप में झेलना पड़ता है। वह सरकार को भी फसल का नुकसान होने पर बहुत बडी राशि किसानों को मुआवजे के रूप में चुकानी पड़ती है। यदि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाती है या विकास नहीं कर पाती तो इसका पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। अतः ग्रामीण विकास के लिए गांवों का समग्र विकास करना होगा। ग्रामीण विकास की अवधारण का सूत्रपात्र महात्मा गांधी के इस कथन से हुआ “भारत की आत्मा गांवों में बसती है जब तक गॉवों का विकास नही होगा तब तक आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार नहीं हो सकता इसी अवधारणा को स्वीकार करते हुए प्रथम पंचवर्षीय यजना में कृषि विकास को उच्च प्राथमिकता दी गई थी। लाल बहादुर शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान“ का नारा देकर कृषि के महत्व को प्रतिष्ठित किया ग्रामीण विकास में आर्थिक दशा में सुधार के साथ-साथ सामाजिक परिर्वतनों को शामिल करना होगा ग्रामीण अवधारणा में ग्रामीण विकास,ग्रामीण क्षेत्रों मे कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन, ग्रामीण उद्योग एवं हस्त कौशल तथा समाजिक व आर्थिक ढाँचे के निमार्ण हेतु उपलब्ध भौतिक व मानवीय साधनों के संपूर्ण उपयोग द्वारा गॉवों की जनता
की आय व उनके जीवन स्तर में सुधार करके ही उनकी आय में वृद्धि की जा सकती है तभी देश समृद्धशाली राष्ट्र बनेगा।
Keywords निर्धनता, पंचवर्षीय योजनाऐं, पलायन, समृद्धशाली, कुचक्र व ऋणग्रस्ता ।
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-16
Cite This भारत में ग्रामीण विकास की अवधारणा : सरकारी एवं निजी प्रयास - Ms. Sanju Kumari - IJFMR Volume 5, Issue 3, May-June 2023.

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