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E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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तिलक के स्वराज की अवधारणा और आधुनिक राजनीतिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता का विश्लेषण
Author(s) | Vineeta Pathak, Asheesh Kumar Mishra |
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Country | India |
Abstract | बाल गंगाधर तिलक की स्वराज की अवधारणा भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला थी और व्यापक रूप से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ गहराई से जुड़ी हुई थी| तिलक ने स्वराज को केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के रूप में नहीं बल्कि भारतीय मूल्य संस्कृतिऔर परंपराओं में निहित स्वशासन के रूप में परिभाषित किया| उनका मानना था कि सच्ची स्वतंत्रता में आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वायत्त सम्मिलित है, जो की जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बलदेती है| तिलक की दृष्टि जनता की सक्रिय भागीदारी की वकालत करतीथी, जिसका लक्ष्य शासन की विकेंद्रीकृत प्रणाली बनाना था| आधुनिक राजनीतिक परिदृश्यमें तिलक के स्वराज का विचार अत्यधिक प्रासंगिक बना हुआहै,विशेष रूप से विकेंद्रीकरण की मांग और स्थानीय शासन के लिए के संदर्भ में|वर्तमान में दुनिया भर मेंलोकतांत्रिकव्यवस्थाएं सत्ता के केंद्रीकरण और नागरिकों के बीच मोहभंग से जूझ रही है| तिलक की अवधारणा स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देने और जवाबदेहीको बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है| इसके अतिरिक्त स्वराज में निहित आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गौरव के सिद्धांत समकालीन आंदोलन से मेल खाते हैं, जो की स्वदेशी अधिकारों, सतत विकास, पर्यावरणीय मूल्य व सांस्कृतिक संरक्षण पर जोर देते हैं| इस प्रकार यहशोध पत्र तिलक के विचारों पर दोबारा गौर करने से शासन,सांस्कृतिकपहचान,विकेंद्रीकरण व पर्यावरण समस्याओं से संबंधित आधुनिक चुनौतियों का समाधान करने में अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा| |
Keywords | स्वराज, स्वतंत्रता, सशक्तिकरण, भारतीय राष्ट्रवाद, विकेंद्रीकरण, नागरिक भागीदारी, आत्मनिर्भरता |
Field | Sociology > Politics |
Published In | Volume 6, Issue 6, November-December 2024 |
Published On | 2024-11-16 |
Cite This | तिलक के स्वराज की अवधारणा और आधुनिक राजनीतिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता का विश्लेषण - Vineeta Pathak, Asheesh Kumar Mishra - IJFMR Volume 6, Issue 6, November-December 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i06.30626 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i06.30626 |
Short DOI | https://doi.org/g8rd24 |
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E-ISSN 2582-2160
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