International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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कौटिल्य का अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में योगदान।

Author(s) Rohit Singh
Country India
Abstract "प्रजा सुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियम् हितम्।।"

कौटिल्य के अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण यथार्थवादी है, जिसका मूल अभिप्राय है कि प्रत्येक राज्य ज्यादा से ज्यादा शक्ति अर्जित करना चाहता है जिससे उसकी सुरक्षा बेहतर बनी रहे। कौटिल्य के चिंतन में राज्य ही मूल इकाईयां हैं और राज्य के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय संगठन नहीं है। इसी विचार को वर्तमान यथार्थवादी विचारक केनेथ वॉल्ट्ज ने निर्मित किया है जिनके विचार को नव यथार्थवादी अथवा संरचनात्मक यथार्थवादी कहा जाता है,जिसका तात्पर्य है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति की संरचना अराजकतापूर्ण है। इसलिए राज्यों की सुरक्षा के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा शक्ति अर्जित करना पड़ता है।
कौटिल्य ने मण्डल सिद्धान्त के तहत विदेश नीति की चर्चा की और बताया कि पड़ोसी स्वाभाविक शत्रु होता है। इस तरह कौटिल्य यथार्थवादी विचारक की कोटि में आता है।इसे भारत का मैकियावेली कहा गया। उल्लेखनीय है कि कौटिल्य के चिंतन में राज्य अथवा राजा का महत्व सर्वाधिक है और राजा धर्म से बंधा हुआ नहीं है, लेकिन आम व्यक्तियों के लिए धर्मानुकूल आचरण करना आवश्यक है, इसलिए कौटिल्य का विचार पंथनिरपेक्ष चिंतन भी माना जाता है जहाँ धर्म और राजनीति के बीच अलगाव किया गया है।
कौटिल्य ने यह भी विस्तृत रूप में उल्लिखित किया कि एक राजा को दूसरे राजा के साथ किस प्रकार सम्बंध का निर्माण करना चाहिए। इसके अंतर्गत 6 नीतियाँ आती हैं- संधि, विग्रह, आसन, आश्रय, द्वैधी भाव, यान । राज्यों के समूह को ही कौटिल्य ने मण्डल के रूप में चित्रित किया। कौटिल्य के बृहद मण्डल में 12 राज्य विद्यमान हैं। मण्डल के केंद्र में विजीगीषु(विजय की इच्छा रखने वाला राज्य)राज्य होता है तथा इसके पड़ोस के राज्य को अरि(शत्रु)तथा अरि के बगल में मित्र राज्य होता है। मण्डल में सबसे शक्तिशाली राज्य उदासीन होता है। कौटिल्य के 'मंडल सिद्धांत' में 'विजिगीषु' या केंद्रीय राज्य की अवधारणा का विश्लेषण करते हुए और विदेशी संबंधों में मित्र और शत्रु राज्यों की विस्तृत चर्चा की है। लेख से यह समझने में मदद मिलेगी कि भारत की विदेश नीति के विकल्पों में शास्त्रीय शास्त्र अभी भी कैसे प्रासंगिक है। निश्चित रूप से कौटिल्य के अर्थशास्त्र ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में निर्णय लेने को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।
Keywords यथार्थवादी, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, कूटनीति, विजिगीषु, मंडल सिद्धांत, सप्तांग सिद्धांत।
Field Sociology > Politics
Published In Volume 6, Issue 6, November-December 2024
Published On 2024-11-22

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