International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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लोकतंत्र के निर्माण में आम आदमी की भूमिका

Author(s) प्रा.प्रकाश विट्ठल सोनवणे
Country India
Abstract लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है जिसमें जनता की संप्रभुता हो | लोकतंत्र का अंग्रेजी पर्याय ‘डेमोक्रेसी’ मूल ग्रीक भाषा के ‘डेमोस’ तथा‘क्रेशिया’ से मिलकर बना है | जिसमे‘डेमोस’ का अर्थ लोग तथा‘क्रेशिया’ का तात्पर्य है शासन | अर्थात डेमोक्रेसी का अर्थ है लोगों का शासन | जनशासन ही लोकतंत्र है | जहाँ तक लोकतंत्र की परिभाषा का प्रश्न है अब्राहम लिंकन की परिभाषा –जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन प्रमाणित मानी जाती है | ‘वाल्टरबेजहॉट’ इसे वाद-विवाद द्वारा चलने वाली सरकार मानते है | प्रज्ञासुर्य डॉ.बाबासाहबआम्बेडकरअपनी परिभाषा देते हुए बताते है की ,लोकतंत्र ऐसी शासन व्यवस्था है जहाँ लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में बिना हिंसा के क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है | वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के द्वारा समाज में शांतिपूर्ण तरीके से लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में मूल परिवर्तन लाना चाहते थे | उनका मानना था की सामाजिकऔरआर्थिकलोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता क्योंकि राजनीतिक लोकतंत्र अपने आप में कोई साध्य नहीं है|उनका मुख्य उद्देश्य लोगों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता का आदर्श प्राप्त करना था |लोकतंत्र में जनता ही सताधारी होती है , उसकी अनुमति से शासन होता है ,उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है | परंतुलोकतंत्र केवल एक विशिष्ट प्रकार कीशासन प्रणाली ही नही है बल्कि एक विशेष प्रकार के राजनीतिक संगठन, सामाजिक संगठन, आर्थिक व्यवस्था तथा एक नैतिकताका नाम भी है | लोकतंत्र जीवन का समग्र दर्शन है जिसकी व्यापक परिधि में मानव के सभी पहलू आ जाते है |सामाजिक आदर्श के रूप में लोकतंत्र वह समाज है जिसमें कोई विशेषाधिकारयुक्त वर्ग नहीं होता और न जाति,धर्म,वर्ण, वंश,धन, लिंग आदि के आधार पर व्यक्ति-व्यक्ति के बीच भेदभाव किया जाता है |
Keywords -
Published In Volume 2, Issue 1, January-February 2020
Published On 2020-01-14
Cite This लोकतंत्र के निर्माण में आम आदमी की भूमिका - प्रा.प्रकाश विट्ठल सोनवणे - IJFMR Volume 2, Issue 1, January-February 2020.

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