International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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विश्व भाषा की ओर हिंदी के बढ़ते कदम

Author(s) डॉ. पोरिका नागमणी
Country India
Abstract सृष्टि के निर्माण काल से ही भाषा का संबंध मानव समाज से रहा है। मानव जीवन में भाषा एक अभिन्न अंग है, जिसके बिना मानव गूंगा है। इस विश्व में कई महाद्वीप, राष्ट्र प्रांत है। भारतेंदुहरिश्चंद का कथन "चार कोस पर पानी बदले, आठ कोस पर वाणी/बीस कोस पर पगड़ी बदले, तीस कोस पर धानी" आज भी चरितार्थ हो रहा है। विदेशों से व्यापार करने के लिए संप्रेषण के लिए आवश्यकतानुसार भाषा अपनानी पड़ती है। उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री और उनके प्रचार के लिए अपनाये जाने वाले साधनों में स्थानीय भाषा का उपयोग होता है। भारत में इस कार्य के लिए अधिकतर हिंदी का उपयोग हो रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना माल बेचने के लिए हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाएं अपना रही है।
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 2, Issue 2, March-April 2020
Published On 2020-04-24
Cite This विश्व भाषा की ओर हिंदी के बढ़ते कदम - डॉ. पोरिका नागमणी - IJFMR Volume 2, Issue 2, March-April 2020.

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