International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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हिन्दी साहित्य पर बौद्ध दर्शन का प्रभाव

Author(s) डॉ. पोरिका नागमणी
Country India
Abstract आधुनिक हिन्दी साहित्य की विधिवत शुरूआत १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से हुई है और लगभग यही समय भारत में लुप्तप्राय बैद्ध धर्म के पुनर्जागरण काल का भी है। इस समय जेम्स प्रिंसेप और अलेक्जेन्डर कनिंघम जैसे पुरातत्वविदों और मैक्समूलर जैसे उदभट संस्कृत विद्वानों के सत्प्रयास से बैद्ध धर्म के तीर्थस्थलों, स्मारकों व पाली एवं संस्कृत वैद्ध साहित्य का पुनरुद्धार हुआ।

भारत में भी बैद्ध धर्म के इस पुनर्जागरण का श्रेय कुछ हद तक पाश्चात्य जगत को जाता है जिसने इसमें रुचि ली और कैद्ध धर्म से समन्धित स्थलों व साहित्य का परिष्कार किया। एक ओर ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंट मत वाले ब्रिटेन ने बैद्ध धर्म के 'सुधारवादी रूप स्थाविरवाद (भैरवदाव) में अपनी रुची दिखाते हुए अपने अधीनस्थ श्रीलंका के स्थविरवाद बैद्ध धर्म के पाली ग्रंथों को प्रकाशित किया तो दूसरी ओर कैबेलिक मतानुयायी फ्रांस एवं इटली के विद्वानों ने चीन, जापान एवं तिब्त में उपलब्ध महायान सूत्रों और भाष्यों में अपनी रुचि दिखायी। ओल्डेन गं. रिज़ डेविड्स, रत्वेरबदरकी जैसे बैद्ध विद्वानों के प्रयत्नों संस्कृत एक्पाली ग्रंथों के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुई तथा बैद्ध धर्म के महत्वपूर्ण तथ्यों और साहित्य से बहा जगत को अवगत कराया। एडविन आर्नाल्ड, सोपेनहावर तथा हर्मन हेसे जैसे दार्शनिकों और साहित्यकारों अपनी रचनाओं के विषय वस्तु के रूप में बुद्ध और बैद्ध दर्शन को ग्रहण कर उसकी मुक्तकंठ प्रशंसा की।
Keywords -
Published In Volume 1, Issue 2, September-October 2019
Published On 2019-09-22
Cite This हिन्दी साहित्य पर बौद्ध दर्शन का प्रभाव - डॉ. पोरिका नागमणी - IJFMR Volume 1, Issue 2, September-October 2019.

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