International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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चार ब्रह्मविहारों का पर्यावरण के विशेष दृष्टिकोण से महत्व

Author(s) Mr. Manish Kumar
Country India
Abstract चल रहे पर्यावरणीय संकट ने पर्यावरण के अनुकूल उत्तर खोजने के लिए प्राचीन आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षाओं पर नए सिरे से विचार करने को प्रेरित किया है। यह लेख देखता है कि चार ब्रह्म विहार हरित नैतिकता में कैसे मायने रखते हैं: उपेक्षा (समभाव), करुणा (दया), मुदिता (दूसरों के लिए खुशी), और मैत्री (प्रेम)। बौद्ध विचारों में निहित ये सार्वभौमिक गुण, केवल लोगों को ही नहीं, बल्कि सभी जीवन और प्रकृति को कवर करते हैं। चार ब्रह्म विहार हमें प्रकृति के साथ रहने और शांति, देखभाल और संतुलन के लिए प्रेरित करने की योजना देते हैं। यह कार्य दिखाता है कि कैसे ये विचार आज की हरित समस्याओं जैसे प्रजातियों की हानि, पेड़ों की कटाई और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यक्तिगत और नीतिगत प्रयासों को प्रेरित कर सकते हैं। ब्रह्म विहारों की कालातीत चतुराई मनुष्यों और प्रकृति के बीच एक दयालु और अधिक संतुलित संबंध विकसित करने में मदद करती है। वे हमारी दुनिया के प्रति कर्तव्य की एक मजबूत भावना का निर्माण करने के लिए एक नैतिक आधार भी प्रदान करते हैं।
Keywords पर्यावरणीय नैतिकता, चार ब्रह्म विहार, बौद्ध शिक्षाएँ, करुणा, समभाव, उपेक्षा, मैत्री, मुदिता, जलवायु परिवर्तन,आध्यात्मिकता और पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण।
Field Sociology > Journalism / Media
Published In Volume 7, Issue 2, March-April 2025
Published On 2025-04-01
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i02.40244
Short DOI https://doi.org/g9dgxf

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