International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
•
Impact Factor: 9.24
A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal
Home
Research Paper
Submit Research Paper
Publication Guidelines
Publication Charges
Upload Documents
Track Status / Pay Fees / Download Publication Certi.
Editors & Reviewers
View All
Join as a Reviewer
Reviewer Referral Program
Get Membership Certificate
Current Issue
Publication Archive
Conference
Publishing Conf. with IJFMR
Upcoming Conference(s) ↓
WSMCDD-2025
GSMCDD-2025
Conferences Published ↓
RBS:RH-COVID-19 (2023)
ICMRS'23
PIPRDA-2023
Contact Us
Plagiarism is checked by the leading plagiarism checker
Call for Paper
Volume 6 Issue 6
November-December 2024
Indexing Partners
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक विश्लेषण
Author(s) | डॉ स्नेहवीर सिंह, डॉ कविता अग्रवाल |
---|---|
Country | India |
Abstract | आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार राजनीतिक क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन खुद सत्ता में आते ही स्वयं भी उसी रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। आजादी मिलने से आज तक लगभग 76 वर्ष बीत गए, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को इस विषय में पाक-साफ नहीं माना जा सकता है। अब तो देखने में यह आता है कि राजनीतिक दल ऐसे ही लोगों को चुनावी रण में उतारने का फैसला करते हैं, जो चुनाव में पानी की तरह पैसा बहा सकते हों। ऐसे में क्या हमे यह मान लेना होगा कि हमें भ्रष्टाचार की आदत डाल लेनी चाहिए या कुछ ऐसे उपाय किये जा सकते हैं जिनसे भ्रष्टाचार की इस दलदल को रोका जा सकता है या कम से कम इसमें कुछ कमी की जा सके? एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नामक संस्था जो चुनाव का विश्लेषण करती है, कहती है कि संसद में पहुँचने वाले लोगों की संख्या में लगातार करोड़पतियों की संख्या बढती जा रही है। इसलिए अत्यंत महंगे होते चुनाव भी राजनीतिक व्यवस्था को भ्रष्ट करने का काम करते हैं। इसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न्यायपालिका भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। भ्रष्टाचार को रोकने में न्यायपालिका की भूमिका को हम पूर्व मुख्य न्यायधीश श्री पी.एन.भगवती द्वारा 26 नवम्बर 1985 को विधि दिवस पर एक भाषण में कहे गये इन शब्दों से समझ सकते हैं “ मुझे यह देखकर बहुत ही पीड़ा हुई है कि न्यायिक प्रणाली करीब-करीब ढहने के कगार पर है। यें बहुत ही कठोर शब्द हैं जो मै इस्तेमाल कर रहा हूँ ,लेकिन बहुत ही व्यथित होकर मैंने ऐसा कहा है।” |
Keywords | भ्रष्टाचार, राजनीति, चुनाव, विकृति, भारत |
Field | Sociology > Politics |
Published In | Volume 5, Issue 4, July-August 2023 |
Published On | 2023-08-01 |
Cite This | भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक विश्लेषण - डॉ स्नेहवीर सिंह, डॉ कविता अग्रवाल - IJFMR Volume 5, Issue 4, July-August 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i04.4827 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.4827 |
Short DOI | https://doi.org/gskjxp |
Share this
E-ISSN 2582-2160
doi
CrossRef DOI is assigned to each research paper published in our journal.
IJFMR DOI prefix is
10.36948/ijfmr
Downloads
All research papers published on this website are licensed under Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License, and all rights belong to their respective authors/researchers.