International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 2 (March-April 2025) Submit your research before last 3 days of April to publish your research paper in the issue of March-April.

भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक विश्लेषण

Author(s) डॉ स्नेहवीर सिंह, डॉ कविता अग्रवाल
Country India
Abstract आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार राजनीतिक क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन खुद सत्ता में आते ही स्वयं भी उसी रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। आजादी मिलने से आज तक लगभग 76 वर्ष बीत गए, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को इस विषय में पाक-साफ नहीं माना जा सकता है। अब तो देखने में यह आता है कि राजनीतिक दल ऐसे ही लोगों को चुनावी रण में उतारने का फैसला करते हैं, जो चुनाव में पानी की तरह पैसा बहा सकते हों। ऐसे में क्या हमे यह मान लेना होगा कि हमें भ्रष्टाचार की आदत डाल लेनी चाहिए या कुछ ऐसे उपाय किये जा सकते हैं जिनसे भ्रष्टाचार की इस दलदल को रोका जा सकता है या कम से कम इसमें कुछ कमी की जा सके? एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नामक संस्था जो चुनाव का विश्लेषण करती है, कहती है कि संसद में पहुँचने वाले लोगों की संख्या में लगातार करोड़पतियों की संख्या बढती जा रही है। इसलिए अत्यंत महंगे होते चुनाव भी राजनीतिक व्यवस्था को भ्रष्ट करने का काम करते हैं। इसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न्यायपालिका भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। भ्रष्टाचार को रोकने में न्यायपालिका की भूमिका को हम पूर्व मुख्य न्यायधीश श्री पी.एन.भगवती द्वारा 26 नवम्बर 1985 को विधि दिवस पर एक भाषण में कहे गये इन शब्दों से समझ सकते हैं “ मुझे यह देखकर बहुत ही पीड़ा हुई है कि न्यायिक प्रणाली करीब-करीब ढहने के कगार पर है। यें बहुत ही कठोर शब्द हैं जो मै इस्तेमाल कर रहा हूँ ,लेकिन बहुत ही व्यथित होकर मैंने ऐसा कहा है।”
Keywords भ्रष्टाचार, राजनीति, चुनाव, विकृति, भारत
Field Sociology > Politics
Published In Volume 5, Issue 4, July-August 2023
Published On 2023-08-01
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.4827
Short DOI https://doi.org/gskjxp

Share this