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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार के औचित्य का विश्लेषण

Paper Id PIPRDA-2313
Author(s) श्वेता श्रीवास्तव श्वेता
Country India
Abstract प्राचीन युग से वर्तमान तक मनुष्य के द्वारा कई आविष्कारों के माध्यम से शोध के माध्यम से नए विचारों का, नए-नए उत्पादों का, नई सुविधाओं का सृजन किया गया है। आवश्यक है की यदि किसी व्यक्ति ने कोई महत्वपूर्ण आविष्कार किया है तो उसे उसका श्रेय दिया जाएI साथ ही इससे संबंधित संवैधानिक, नैतिक और आर्थिक/वित्तीय हित भी संरक्षित रहे क्योंकि कई बार अन्य व्यक्तियों के द्वारा इस तरह की खोज एवं आविष्कार के वित्तीय लाभ प्राप्त किए जा सकते है; इसलिए बौद्धिक संपदा का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है। बौद्धिक संपदा के अधिकार ऐसे अधिकार है जो किसी आविष्कारक, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, लेखक आदि को किसी वस्तु अथवा विचार के सृजन के परिणाम स्वरूप संरक्षण के लिए प्रदान किए जाते है। इन के माध्यम से इस बात को सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति के विचार उसकी मौलिक परिसंपत्ति होते है, यह उसकी मस्तिष्क का सृजन है; इसलिए इन अधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है। क्योंकि बौद्धिक संपत्ति के सृजन एक व्यक्ति के गंभीर प्रयत्नों का परिणाम होते है इस कारण से बौद्धिक संपदा के अधिकारों के माध्यम से व्यक्तियों और शोधकर्ताओं के हितों का संरक्षण किया जाता है जिसमें वित्तीय सभी प्रकार के हित सम्मिलित है।
Published In Conference / Special Issue (Volume 5 | Issue 1) - डिजिटल युग में साहित्यिक चोरी एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार (बहुविषयक) (PIPRDA-2023) (January 2023)
Published On 2023-01-25
Cite This भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार के औचित्य का विश्लेषण - श्वेता श्रीवास्तव श्वेता - IJFMR Conference / Special Issue (Volume 5 | Issue 1) - डिजिटल युग में साहित्यिक चोरी एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार (बहुविषयक) (PIPRDA-2023) (January 2023).

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