International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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जसपुर, विकासखण्ड (जनपद ऊधमसिंहनगर ) के संदर्भ में कुमांऊॅं मण्डल (उत्तराखण्ड) की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्ययन

Author(s) Nisha Chauhan, Manoj kumar
Country India
Abstract अध्ययनगत क्षेत्र , जसपुर विकासखंड , उत्तराखण्ड राज्य (भारत) के कुमाऊॅं मण्डल के ऊधम सिंह नगर जिले में स्थित है। भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से यह गांगेय मैदान की जलोढ मिट्टी से बना मैदानी भूभाग है । इस क्षेत्र में ढेला ,लपकना ,फीका बछिया तथा ढूंढा नदियां बहती है। जिसके कारण यहां की मिट्टी में रेत ,सिल्ट, कंकड़ तथा जैविक तत्वों का अनुपात पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इस क्षेत्र का निर्माण भी हिमालय के निर्माण के साथ-साथ हुआ है समय≤ पर विभिन्न भूगर्भ शास्त्रियों ने इसे प्रमाणित किया है। महाभारत और प्राचीन संस्कृत साहित्य में उपलब्ध विभिन्न संदर्भों से यह जान पड़ता है कि इस क्षेत्र में आदि काल से कॉल किरात ,राजी ,नाग,बौर, थारू, बोक्सा, भूटिया और खस जाति के लोग निवास करते थे। इनमें खस जाति सवसे सशक्त थी । क्षेत्र की शासन व्यवस्था में कत्यूर, चंद्र वंश,गोरखा के बाद अंग्रेजों के शासन का प्रभुत्व रहा है। कत्यूर को आज भी स्थानीय लोग देवता के रूप में मानते हैं तथा इनकी पूजा-अर्चना करते हैं । कत्यूर राजाओं ने यहां बहुत से नाले, मंदिर ,तालाब और हाट बाजारों का निर्माण करवाया था। कत्यूर वंश के पतन के बाद चंद वंश का प्रभुत्त रहा तथा साडे पांच सौ वर्षों तक चंद्र राजाओं ने कुमाऊं पर राज्य किया। इन्होंने अपने शासनकाल में कुमाऊॅं में सर्वत्र सुधार और उन्नति के कार्य किए तथा चन्द राजाओं ने अपनी राजधानी चंपावत में स्थापित की। 18 वीं सदी के अंतिम दशक में आपसी दुर्भावनाओं के कारण चंद्र राजाओं की शक्ति क्षीण हो गई। अवसर पाकर गोरखओं ने गोरखा राज्य स्थापना एवं विस्तार किया। गोरखाओं ने अपने शाशनकाल में सैनिक संधि, जमीन प्रबंधन, संगठन तथा कर प्रणाली जैसे सुधारों को किया यह कर्मकांड में विश्वास रखते थे । गोरखाओं के शासनकाल में गुलाम बनाना कुली प्रथा, बेगाार प्रथा तथा अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। गोरखाओं के शासन के पश्चात यहां अंग्रेजों का शासन आया जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र में काफी सुधार और उन्नति के कार्य किए। अध्ययनगत क्षेत्र में विभिन्न राजाओं , शासन व्यवस्था और परंपराओं के कारण यहां की संस्कृति में विविधतायें देखने को मिलती हैं।
Keywords भौगौलिक, आध्यात्मिक, दृष्टिकोण, भूगर्भ, कॉप मिट्टी
Field Sociology > Geology
Published In Volume 5, Issue 4, July-August 2023
Published On 2023-08-22
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.5608
Short DOI https://doi.org/gsm4xp

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