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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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प्रेम नारायण 'पंकिल' के काव्य में यथार्थ-वर्णन

Author(s) आमोद प्रकाश चतुर्वेदी, दिवाकर पाण्डेय
Country India
Abstract कवि प्रेम नारायण 'पंकिल' के काव्य में जीवन के विविध पक्षों का चित्रण मिलता है। मानव के जीवन में उतार-चढ़ाव, प्रेम-प्रतिशोध, घात-प्रतिघात, नियति के थपेड़े, दूसरों के द्वारा किया गये शोषण-उत्पीड़न और उनके विरुद्ध उसका जूझना और अपने संघर्ष के द्वारा परिस्थितियों पर विजय पाना इत्यादि चलते रहते हैं। कभी ये कष्ट प्रकृति प्रदत्त होते हैं तो कभी इनका कारण अपने ही बंधु-बांधव होते हैं। प्रकृति के कोप को तो मनुष्य किसी तरह सह लेता है किंतु अपने समाज में फैली विषमतायें उसे उद्वेलित कर देती हैं। ये विषमतायें कभी आर्थिक होती हैं तो कभी सामाजिक। इनमें पिसना पड़ता है तो मनुष्य को ही। पंकिल जैसे एक सजग कवि की दृष्टि से जीवन का एक भी पक्ष ओझल नहीं हो पाता है। उनके सम्पूर्ण काव्य में मानव जीवन के यथार्थ का चित्रण जहाँ-तहाँ बिखरा पड़ा मिलता है।
Keywords यथार्थ, दैन्य, संताप, ममत्व, पिपासा, करुणा
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 4, July-August 2023
Published On 2023-08-22
Cite This प्रेम नारायण 'पंकिल' के काव्य में यथार्थ-वर्णन - आमोद प्रकाश चतुर्वेदी, दिवाकर पाण्डेय - IJFMR Volume 5, Issue 4, July-August 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i04.5644
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.5644
Short DOI https://doi.org/gsm4w2

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