International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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Dhokra Dhalai Takniki aur Prakriya: Ek Vishleshanatmak Adhyayan

Author(s) Devanand Gupta
Country India
Abstract ढोकरा कला, जिसे ढोकरा कला, डोगरा कला, घड़वा कला आदि नामों से भी जाना जाता है, भारत मे कारीगरों द्वारा सदियों से प्रचलित एक पारंपरिक धातु ढलाई तकनीक है। यह कला एक प्राचीन परंपरावादी कला है। इसका संबंध सिंधु सभ्यता की मोहनजोदड़ो की नृत्य करती बालिका से है। यह एक भारतीय पद्धति है जो छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में प्रचलित हैं। यह कला पूरे भारत में अलग-अलग समुदायों में उनकी परंपरा और संस्कृति को दर्शाने के लिए जाना जाता है। इस अध्ययन में ढोकरा कला में प्रयुक्त सामग्रियों, उपकरणों और पद्धतियों का ब्यापक विश्लेषण शामिल है, जिसमंे उन स्वदेशी समुदायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिन्होंने इस विरासत शिल्प को संरक्षित किया है। इस पद्धति से मूर्तियां बनाने के लिए काफी समय और मेहनत की आवश्यकता पड़ती है। ढोकरा कला में किसी सांचे व मशीन का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि इनका निर्माण कलाकार के हाथों के द्वारा ही किया जाता है। इस प्रकार प्रस्तुत शोध पत्र ढोकरा कला उत्पाद के विभिन्न चरणों पर प्रकाश डालता है, जिसमे पैटर्न बनाना, मोम से कलात्मक स्वरूप देना, धातु ढलाई और परिष्करण तकनीक शामिल है। आगे यह भारत के सांस्कृतिक संदर्भ में ढोकरा कला के महत्व और समकालीन कलात्मक अभिव्यक्तियों के लिए इसकी क्षमता की जांच करता है।
Keywords ढोकरा कला, मधुचिस्ट विधि, घरिया (क्रुसिबल), मोम से कलात्मक स्वरूप, धातु ढलाई।
Field Arts > Drawing
Published In Volume 5, Issue 4, July-August 2023
Published On 2023-08-22
Cite This Dhokra Dhalai Takniki aur Prakriya: Ek Vishleshanatmak Adhyayan - Devanand Gupta - IJFMR Volume 5, Issue 4, July-August 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i04.5653
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i04.5653
Short DOI https://doi.org/gsm4wx

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