International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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मानव जीवन और पर्यावरण प्रदूषण
Author(s) | SATAR KHAN |
---|---|
Country | India |
Abstract | पर्यावरण में होने वाले किसी भी अवांछित परिवर्तन को हम प्रदूषण का नाम देते है। यह अवांछित परिवर्तन हमारे पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों को प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में यह हमारी वायु, मृदा या जल में आने वाला परिवर्तन है। कोई भी कारण जो हमारे पर्यावरण के जैविक ,रासायनिक या भौतिक गुणों को प्रभावित करता है। प्रदू्र्र्रषण कहलाता है। प्रदूषण स्ंवय रासायनिक, भौतिक या जैविक प्रकार का हो सकता है। भौतिक प्रदूषण ताप अथवा विकिरण हो सकता है। जैविक प्रदूषण मानवीय गतिविधियों का परिणाम है। परन्तु इसका मतलब यह नही हैं। कि यह स्वंय मानव पर प्रभाव नही डालता है। प्रदूषण का प्रभाव अत्यन्त व्यापक हो गया है। तथा यह मौसम, जलवायु जीवों के विकिरण, अस्तित्व आदि को प्रमाणित कर सकता है। प्रदूषण के उदाहरण:- पर्यावरण में अवांछित यानि अनचाहा परिवर्तन जिन कारणों से आता है। उनके कुछ उदाहरण हैः- धुंआ - कोयला, लकडी, पेट्रोल, डीजल आदि को ईंधन कहा जाता है। इनके जलने से धुंआ निकलता है। जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड़, हाईड्रोकार्बन व निलम्बित कणिकीय पदार्थ होते है। ये वायु में मिलकर इसके संगठन को प्रभावित करते है। व्यर्थ ठोस - हम अनेक वस्तुओं को खराब हो जाने पर फैक देते है। ये वस्तुऐं व्यर्थ ठोस कहलाती है। बैटरी, सैल, प्लास्टिक के खिलौने, खाली बोतले, थैलियॉ, इसके उदाहरण है। जहॉ जितना ज्यादा उपभोग होता है। तथा जितनी जनसंख्या होती है। वहॉ उतना ही अधिक व्यर्थ ठोस फेंका जाता है। यह अनेक प्रकार के हामरे पर्यावरण में अवांछित परिवर्तन लाता है। ऊष्मा:- ईंधन के दहन से धुँआ उत्पन्न होने के साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है। जो वातावरण के ताप को बढ़ाती है। विकिरण:- नाभिकीय बिजलीघरों व परीक्षणों से विकिरण उत्पन्न होते है। जो पर्यावरण में अवांछित परिर्वतन लाते है। प्रदूषण के प्रकार:- प्रदूषण को वर्गीकृत करने की कोई स्थिर प्रणाली नहीं है। सामान्यतः जल, भूमि व वायु में होने वाले प्रदूषण को जल प्रदूषण, भूमि व मृदा प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण के नाम से जाना जाता है। परन्तु जल, भूमि व वायु को प्रदूषित करने वाले स्त्रोप परस्पर पृथक नहीं है। एक कारखानो से निकला हुआ धुंआ वायु को प्रदूषित तो करता ही है साथ ही धुंए की गैसो का वर्षा के साथ जल में मिलने पर यह मृदा व जल को प्रदूषित करता है। प्रदुषक के प्रकार के आधार पर भी प्रदूषण को वर्गीकृत करने का प्रयास किया जाता है इस प्रकार रसायनों से होने वाला प्रदूषण रासायनिक प्रदूषण कहलाता है। तापीय प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण भी इसी श्रेणी के प्रदूषण है। जिनको प्रदूषक के प्रकार के आधार पर प्रदूषण का नामकरण दिया गया है। जबकि जल, वायु, मृदा प्रदूषण नाम प्रभावित होने वाले घटक के आधार पर दिये गये नाम है। पर्यावरण प्रदूषण के कुप्रभाव:- ऽ ऽ इताई इताई रोगः- यह रोग जापान मे केडमियम विषाक्तता के कारण एक समय फैला रोग है। इस रोग से हड़्डियो व जोडांे के दर्द के कारण व्यक्ति पर कराहता रहता है। जिसके लिए जापानी अभिव्यक्ति इताई- इताई है इसी के कारण इस रोग को यह नाम दिया गया। ऽ ऽ मीनामाता रोगः- मीनामाता रोग पर्यावरणीय दुर्घटनाओं, औद्योगीकरण के साथ जुड़ी - पर्यावरणीय समस्याओं, जलप्रदूषण, औद्योगिक क्षेत्र की पैसा कमाने की ललक से मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण के साथ की गई लापरवाही की एक जीती जागती मिसाल है। यह रोग जापान के मीनामाता शहर मे 1956 से 1970 तक मिथाइल मर्करी नामक रसायन के प्रभाव से उत्पन्न हुआ। इस रोग में मनुष्य का तन्त्रिका तंत्र, प्रमुखः केन्द्रीय तन्त्रिका तंत्र प्रभावित होता है। तथा इसके प्रभाव अकार्बनिक मर्करी के विष से हुए प्रभावो से भिन्न होते है। जिसमे प्रमुख वृक्क प्रभावित होते हैं। इस रोग से हाथ-पाँवों में संवेदी परेशानियों उत्पन्न होती है। सुन्न होना, सुनने की शक्ति समाप्त हो सकते है। पेशीय शिथिलता आती है। आँख की पुतली में अनियमित गति होती है। जिसने देखने में परेशानी आती है। संतुलन बिगड़ता है, लकवा तथा) मृत्यु भी हो सकती है। ऽ ऽ वातावरण में ताप में वृद्धिः- वातावरण में ताप में वृद्धि जीवो के तापमान को भी बढाती है। तापमान उपापचयी दर को बढ़ता है। जिससे इकाई समय में जीव अधिक भोजन की खपत करता है। यह पाया गया है कि वातावरण मे 2°ब् का परिवर्तन आने से भी जीवों पर दुष्प्रभाव पडता है। तथा कोशिकीय गतितिधि प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप कोशिका को फोगुलेषन हो सकता है तथा कोशिकीय भित्ति ऑस्मासिस हेतु पारगम्य कम हो जाती है। अधिक तापमान उत्परिवर्तन की दर को बढाता है तथा प्रजनन को भी प्रभावित करता है। |
Field | Arts |
Published In | Volume 5, Issue 4, July-August 2023 |
Published On | 2023-08-25 |
Cite This | मानव जीवन और पर्यावरण प्रदूषण - SATAR KHAN - IJFMR Volume 5, Issue 4, July-August 2023. |
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E-ISSN 2582-2160
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10.36948/ijfmr
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