International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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'इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता संवेदना के नए आयाम

Author(s) SANDHYA DUBEY
Country India
Abstract इक्कीसवीं सदी के इन पांच वर्षों में हिंदी कविता बीसवीं सदी के अंतिम दशक एवं आज की नई संवेदनाओं के साथ निरंतर बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रही है। राजनीति, बाजार, मीडिया, सूचना, तकनीकी, भूमंडलीकरण आदि के प्रभाव के कारण हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में परिवर्तन वर्षों में नहीं अपितु महीनों में हो रहे हैं। दरअसल इस गतिशीलता को स्थूल रूप से नहीं आंका जा सकता क्योंकि आज व्यक्ति एवं समाज मन को आसानी से नहीं जांचा जा सकता। फिर भी नए कवि सक्रिय होकर अपनी भूमिका का सफल निर्वाह कर रहे हैं। हिंदी कविता के अत्यधिक गद्यात्मक रूप से उसकी पठनीयता में कमी आयी है। हिंदी कविता को अपनी जड़ तक पहुँचने तथा नई संवेदनाओं को पकड़ने के लिए उसका पठनीय होना भी जरूरी है। वस्तुतः कविता आम जीवन से कट रही है। यह एक विचारणीय मुद्दा है।
Keywords कविता ,संवेदना और नए आयाम
Field Arts
Published In Volume 5, Issue 5, September-October 2023
Published On 2023-09-06
Cite This 'इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता संवेदना के नए आयाम - SANDHYA DUBEY - IJFMR Volume 5, Issue 5, September-October 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i05.6204
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i05.6204
Short DOI https://doi.org/gsp9c3

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