International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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आत्म परिवर्तन एवं अनुशासन

Author(s) प्रभाकर उपमन्यु
Country India
Abstract स्वयं या आत्म उस प्रत्यक्षीकरण या अनुभव से है, जो व्यक्ति अपने आप में करता है। किसी भी सामाजिक आवश्यकता एवं लक्ष्य का संगठन इसी स्वयं के माध्यम से होता है। मनुष्य अपनी आत्म-शक्तियों एवं अपनी कमजोरियों के साथ रहता है। वह अपने शरीर, मन, विचार एवं भाव के प्रति भी अनुक्रिया करता है। आत्म-अनुशासन खुद को आगे बढ़ाने, प्रेरित रहने की क्षमता है। भले ही आप शारीरिक या भावनात्मक रूप से कैसा भी महसूस कर रहे हों ? स्वयं के प्रति दृष्टिकोणों के विकास का परिणाम है। आत्म या स्वयं के संप्रत्यय को एकीकृत रूप से ना देखा जाए, तो सामाजिक व अन्य संबंधों में स्थिरता और निरंतरता की संभावना नहीं रहती। आत्म लंबी प्रक्रिया का परिणाम होता है, जो व्यक्ति के दूसरों के संदर्भ में पदार्थों, समूहों, संस्थाओं तथा मृत्यु के संदर्भ के अर्थों आत्म या स्वयं शब्द का प्रयोग अहम् के अर्थ में एक माध्यम या एजेंट के रूप में जाना जाता है, जो अपनी पहचान की निरंतरता के लिए चेतन रहता है।
Keywords स्वयं, आत्म, अनुशासन, विद्यार्थी, प्रेरणा
Field Sociology > Education
Published In Volume 4, Issue 4, July-August 2022
Published On 2022-07-29
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2022.v04i04.014
Short DOI https://doi.org/gqk3jz

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