International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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विद्यालय में समावेषी शिक्षा व्यवस्था

Author(s) राजेषकुमार, दीपिका पारीक
Country India
Abstract शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया हैं, इस प्रक्रिया की सफलता उत्तम विद्यालय पर निर्भर करतीहै। आदिम काल में विद्यालय जैसी कोई धारणा नहीं थी, क्योंकि बालक माता-पिता के साथ ही उनके व्यवहार को देखकर सीखता था। वह प्रत्यक्ष को देखता तथा ज्ञान प्राप्तकरता था। ज्यों ज्यों मानव ने उन्नति की त्यों त्यों उसको जीवन में समस्याओ का सामना भी करना पड़ा। वह यह नहीं चाहताथा कि नवीन पीढ़ी इन समस्याओं का सामना करे। इसलिए उसने नवीन पीढ़ी को विद्यालय रूपी प्रांगण में प्रवेष करान पर बल दिया जहाँ उसे एक निष्चित विधि,निष्चित पाठ्यक्रम ,निष्चित षिक्षक,समय, स्थान आदि की सहायता से मानव पीढी को सीखाना आरम्भ किया। इसमें कोई षंका नहीं कि स्कूल (विद्यालय) कॉलेज व विष्वविद्यालय सभ्यता व संस्कृति के संरक्षक के रूप् में अस्तित्व में आई ।
देष की कुल आबादी का लगभग 10ःव्यक्ति विकलांगता से ग्रसित है। इसमे अस्थाई रुप से विकलांग और बुर्जुग भी षामिल है सन 2020 ई. में विकलांगता से ग्रस्त लोेगों की कुल जनसंख्या करीब 17 करोड़ होने का अनुमान है जिनमे करीब 1 करोड़ 70 लाख बुर्जुग होन का अनुमान है। जिनमे से अधिकांष बहु विकलांगता से ग्रस्ति है।
Published In Volume 5, Issue 5, September-October 2023
Published On 2023-09-10
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i05.6350
Short DOI https://doi.org/gsp895

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