International Journal For Multidisciplinary Research
E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की भूमिका
Author(s) | जयेश कुमार, जे. बी. पाल |
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Country | India |
Abstract | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है जो ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में एक क्रांतिकारी कदम है। इसने लाखों ग्रामीण लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के अकुशल श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्रामीण गरीबी एवं बेरोजगारी के दोहरे मुद्दों के समाधान की दिशा में अग्रसर है। यह ना केवल ग्रामीण समुदायों के आर्थिक उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है बल्कि उन्हें आय का एक स्रोत प्रदान करके उनके कौशल, आत्म-सम्मान और वित्तीय स्थिरता को भी बढ़ाती है। चूंकि भारत एक विकासशील देश है जिसकी दो तिहाई से अधिक जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। आजादी के 76 वर्षों के बाद भी आज भारत की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैं क्योंकि गांधी जी ने कहा था कि भारत सही मायने में तभी स्वतंत्र कहा जाएगा जब उसके गाँवो में रहने वाली जनसंख्या की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर होगी क्योंकि भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा गाँवों से ही मिलकर बना है। गांधी जी ने गाँवों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि यदि गाँव नष्ट होते हैं तो भारत स्वतः नष्ट हो जाएगा। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक योजनाएं भी चलाई गई लेकिन फिर भी आज गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है। इसी समस्या समाधान की कड़ी में सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 संसद में पारित किया गया जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की नींव पड़ी। 2 अक्टूबर 2009 को इस योजना का नाम महात्मा गांधी के साथ जोड़कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) किया गया। इस योजना में यह प्रावधान किया गया कि भारत में प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवारों को एक वर्ष में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी देना है। यदि सरकार काम नहीं दे पाती हैं तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान है। यह भारत की पहली योजना है जो कानूनी रूप से रोजगार की मांग करने का अधिकार देती हैं। इस योजना का दूसरा प्रमुख पहलू संपत्ति निर्माण पर जोर देना है, इसमें सड़कों, जल संरक्षण संरचनाओं और सिंचाई प्रणालियों जैसे ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास करना है। ये संपत्तियां न केवल कृषि उत्पादकता में सुधार करती हैं बल्कि ग्रामीण समुदायों के बाजार तक पहुंच को भी सुनिश्चित करती हैं। यह योजना ग्रामीण भारत में लैंगिक असमानताओं को दूर करने तथा पुरुषों और महिलाओं के लिए समान वेतन को बढ़ावा देकर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाती है। इसके अलावा, यह योजना प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करके इसमें होने वाले रिसाव को रोकती है ताकि इच्छित लाभार्थियों को उसका लाभ मिल सकें। |
Keywords | मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, आजीविका, लॉकडाउन, कोविड-19, आत्मनिर्भरता, ग्रामीण विकास, सामाजिक समावेशन, कौशल निर्माण, प्रवासन, आर्थिक विकास। |
Field | Mathematics > Economy / Commerce |
Published In | Volume 5, Issue 5, September-October 2023 |
Published On | 2023-10-19 |
Cite This | ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की भूमिका - जयेश कुमार, जे. बी. पाल - IJFMR Volume 5, Issue 5, September-October 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i05.7695 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i05.7695 |
Short DOI | https://doi.org/gswg56 |
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E-ISSN 2582-2160
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IJFMR DOI prefix is
10.36948/ijfmr
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