International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं धर्मवीर भारती के साहित्य में नारी जीवन

Author(s) Dr. Mahendra Singh Meena
Country india
Abstract सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं धर्मवीर भारती जी ने अपने गद्य साहित्य में भारतीय नारी की दशा का वास्तविक चित्रण किया है। इनकी रचनाओं में समाज के लगभाग सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली नारी का चित्रण मिलता है। इनकी रचनाओं में नारी जीवन की समस्याएँ, संघर्ष, दासता, उत्पीड़न, उपेक्षा तथा समाज के उनकी स्थिति का यथार्थ चित्रण मिलता है। इसके साथ ही दोनों रचनाकारों ने नारी मुक्ति का स्वर भी मुखरित किया है। कालजयी रचनाकारों की यह विशेषता होती है कि वे किसी युग या प्रवृत्ति के बंधन में बंधकर तत्कालीन सुख व प्रसिद्धि देने वाली ही रचना नहीं करते अपितु उनकी रचना सभी वादों, प्रवृत्तियों से परे दीर्घकाल तक मनुष्य की चेतना का पथ प्रदर्शित करती है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और धर्मवीर भारती जी के रचनाओं के अनुशीलन से यह ज्ञात होता है कि उनकी रचनाओं की विषय-वस्तु तत्कालीन होते हुए भी वर्तमान मंे प्रासंगिक है।
Keywords नारी जीवन, नारी दास्तां ,महिला सशक्तिकरण, सरकारी प्रयास, शोषण ,साहित्य
Field Arts
Published In Volume 4, Issue 2, March-April 2022
Published On 2022-03-25
Cite This सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं धर्मवीर भारती के साहित्य में नारी जीवन - Dr. Mahendra Singh Meena - IJFMR Volume 4, Issue 2, March-April 2022.

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