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E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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संत रज्जब जी और संत सुन्दरदास की वाणियों में सामाजिक चेतना (Sant Rajjab ji aur Sant Sunderdas ki vaniyoon mein samajik chetna)

Author(s) Krishna Meena
Country India
Abstract शोध सारांश
व्यक्ति की समाज के प्रति जागरूक मानसिकता ही सामाजिक चेतना कहलाती है। निर्गुण संत कवियों ने अपनी वाणियों के माध्यम से सामाजिक चेतना को जागृत करने की साधना की। संत रज्जब अली और संत सुन्दर दास जी का काव्य तत्कालीन युग परिस्थितियों से प्रभावित नजर आता है। संत रज्जब अली और संत सुन्दर दास जी ने अपने अपनी वाणियों के माध्यम से मध्यकालीन सामाजिक चेतना को सशक्त किया जिससे सामाजिक स्तर पर जन-जीवन का उद्धार हुआ। जहाँ तक संत रज्जब जी और संत सुन्दरदास जी की सामाजिक चेतना की तुलना का प्रश्न है, संत रज्जब अली सामाजिक चेतना के आधारों में अधिक उग्र और आक्रमक नजर आए जबकि संत सुन्दरदास शास्त्रीय सम्मत होते हुए भी कम ऊर्जावान नजर आए। अपने सामाजिक आदर्शों को फली भूत करने के लिए जो ज्योति दोनों संतों ने जलाई, वह युगों तक हिन्दी साहित्य को अक्षुण्ण रखेगी।
Keywords संत रज्जब अली, संत सुन्दरदास, सामाजिक चेतना, वर्ण-व्यवस्था, नारी-निन्दा
Published In Volume 5, Issue 6, November-December 2023
Published On 2023-12-27
Cite This संत रज्जब जी और संत सुन्दरदास की वाणियों में सामाजिक चेतना (Sant Rajjab ji aur Sant Sunderdas ki vaniyoon mein samajik chetna) - Krishna Meena - IJFMR Volume 5, Issue 6, November-December 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11255
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11255
Short DOI https://doi.org/gtbthc

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