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E-ISSN: 2582-2160
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Volume 6 Issue 6
November-December 2024
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Women's Discourse in Prabha Khaitan's Prose Literature: A Political Perspective
Author(s) | Dr Ranjana Dholakia |
---|---|
Country | India |
Abstract | हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री विमर्श जिसमें नारी जीवन की अनेक समस्याएँ देखने को मिलता है। हिन्दी साहित्य में छायावाद काल से स्त्री विमर्श का जन्म माना जाता है। प्रेमचंद से लेकर आज तक अनेक पुरुष लेखकों ने स्त्री समस्या को अपना विषय बनाया लेकिन उस रूप में नहीं लिखा जिस रूप में स्वयं महिला लेखिकाओने लिखी है । अतः स्त्री विमर्श की शुरुआती गूंज पश्चिम में देखनेको मिला। सान 1960 ई के आसपास नारी सशक्तिकरण ज़ोर पकड़ी जिसमें चार नाम चर्चित है । उषा प्रियम्वदा , कृषणा सोबती , मन्नू भण्डारी एवं शिवानी आदि लेखिका ओं ने नारी मन की अन्तद्रवन्दवों एवं आप बीती घटनाओं को उकरेना शुरू किए और स्त्री विमर्शएक जवलंत मुद्दा है। आठवें दसक आते आते यही विषय एक आंदोलन का रूप ले लिया जो शुरुआती स्त्री विमर्श से ज्यादा सिध्ध हुआ । आज मैत्रेयी पुष्पा तक आते आते महिला लेखिकाओं की बाढ़ सी आ गयी स्त्रीवादी सिध्द्धांतोंका उदेश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणो को समझना तथा इसके फल स्वरूप पैदा होनेवाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिध्द्धांतों पर इसके असर की व्याखया करना है । स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का ज़ोर प्रजना संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा ,मातृत्व अवकाश , समान वेतन संबंधी अधिकार , यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसा पर रहता है । प्रभा खेतान लिखती है की “ ज़्यादातर लेखिकाएँ आलोकना की आपाधापी में पीछे छूट गई है। स्त्री की अपनी संस्कृति है , इतिहास में इसे भिन्न माना जाता रहा लेकिन उसे अलग पहचान नहीं दी गई । चूंकि अलग से स्त्री शक्ति की सत्ता नहीं थी इसलिए सत्ता को अलग पहचान नहीं मिली। “ संविधान प्रदत स्त्री – पुरुष समानता के बावजूद स्त्री को इंसाफ नहीं मिलता । न्याय के पैरोकार स्त्री की सुरक्षा करनेकी जगह खिलवाड़ करते आए हैं। पुलिस भी समाज में इंसाफ के बदले अन्याय ही करते आए हें। इसी सच्चाई को प्रभा खेतान ने अपने उपन्यासों में उभारने का प्रयास किया हें । मूखय शब्दों : स्त्री विमर्श , असमानता , स्त्रीवाद , अधिकार |
Keywords | मूखय शब्दों : स्त्री विमर्श , असमानता , स्त्रीवाद , अधिकार |
Field | Sociology > Politics |
Published In | Volume 5, Issue 6, November-December 2023 |
Published On | 2023-12-31 |
Cite This | Women's Discourse in Prabha Khaitan's Prose Literature: A Political Perspective - Dr Ranjana Dholakia - IJFMR Volume 5, Issue 6, November-December 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11530 |
DOI | https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i06.11530 |
Short DOI | https://doi.org/gtbtbz |
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E-ISSN 2582-2160
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10.36948/ijfmr
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