International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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Ekkiyeesveen sadi ke Hindi Upanyasom mein chitrit sangarshrath Mahila Kissan

Author(s) A K Bindhu, Steny Francis
Country India
Abstract वर्तमान समय में आधुनिकीकरण, औद्योगिकरण और बाज़ारवाद के भँवर में फँसे किसान अपनी प्रतिष्ठा को बचाने केलिए रोज़ संघर्ष कर रहे हैं। प्रतिदिन किसानों से उनकी ज़मीन छीनी जा रही है। अन्नदाता कहलाने वाला किसान आज स्वयं भूखा है। तत्कालीन साहित्य में किसान जीवन की त्रासदी को उभारने की कोशिश साहित्यकारों ने किया है। इसके अलावा साहित्यकारों ने महिला किसान एवं किसान पत्नी की भूमिका को एहम मानते हुए उन्हें साहित्य जगत में विशेष स्थान दिया है। महिला किसान एवं किसान पत्नियों की समस्याओं एवं संघर्षों को वाणी देने में समकालीन हिंदी उपन्यास सक्षम हैं।
Keywords महिला किसान, खेती, ज़मीन, किसान पत्नी, बराबरी, आत्महत्या, शोषण, संघर्ष,मजदूर , समाज सेविका , हिन्दी उपन्यास
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 6, Issue 4, July-August 2024
Published On 2024-07-25
Cite This Ekkiyeesveen sadi ke Hindi Upanyasom mein chitrit sangarshrath Mahila Kissan - A K Bindhu, Steny Francis - IJFMR Volume 6, Issue 4, July-August 2024. DOI 10.36948/ijfmr.2024.v06i04.25011
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i04.25011
Short DOI https://doi.org/gt5hms

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