International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 6 November-December 2024 Submit your research before last 3 days of December to publish your research paper in the issue of November-December.

आचार्य शंकर का योगिक व्यक्तित्व एवम् कृतित्व : एक विवेचन

Author(s) डॉ. भारत भूषण सिंह, डॉ. संदीप ठाकरे
Country india
Abstract आचार्यपाद श्रीशंकराचार्य अद्वैतसिद्धान्तके प्रधान आचार्य ही नहीं , बल्कि क युगप्रवर्तक भी थे । उनके समयमें भारतवर्ष बौद्ध , जैन एवं कापालिकोंके प्रभावसे पूर्णतया प्रभावित हो चुका था । वैदिकधर्मका सूर्य अस्ताचलकी ओर जा रहा था । लोग वैदिक कर्म एवं उपासनासे उदासीन हो बड़ी तेजीके साथ सुगत गौतमबुद्ध और महावीरकी छत्रच्छायाकी शरण ले रहे थे । इसी कठिन अवसरपर उन्होंने प्रकट होकर डूबते हुए वैदिकधर्मका पुनरुद्धार किया । अपनी छोटी - सी आयुमें उन्होंने जो अलौकिक कार्य किये वह बड़ा विस्मयजनक उन्होंने जिस सिद्धान्तकी स्थापना की है उसपर संसारके बड़े - से - बड़े विचारक विद्वान् और दार्शनिक भी मन्त्रमुग्ध - से हैं । इसमें कोई संदेह नहीं कि वे दार्शनिक जगत्के सबसे अधिक देदीप्यमान रत्न हैं , बड़े - बड़े विद्वानोंने उन्हें ' दार्शनिकसार्वभौम ' कहकर सम्मानित किया है । शंकर के अनुसार, मन की वृत्तियाँ विषयों की ओर आकर्षित होती हैं और इस प्रकार मनुष्य को माया और अविद्या में फंसाती हैं। उन्होंने वृत्तिनिरोध को मानसिक वैराग्य (मानसिक विरक्ति) और ज्ञान द्वारा वृत्तियों को नियंत्रित करके अविद्या से मुक्ति की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण साधना के रूप में प्रस्तावित किया है। आचार्य शंकर के अनुसार, वृत्तिनिरोध के माध्यम से मन की चंचलता, भ्रम, अविद्या और असत्य के विचारों का समाधान होता है और व्यक्ति अपनी सत्य स्वरूपता को पहचानता है। इस प्रकार, वृत्तिनिरोध योग विद्या और सत्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक मार्ग को प्रदान करता है।
Keywords अविद्या , अभ्यास , वैराग्य , वृत्तिनिरोध , चित्त ,मोक्ष
Field Sociology > Philosophy / Psychology / Religion
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-19
Cite This आचार्य शंकर का योगिक व्यक्तित्व एवम् कृतित्व : एक विवेचन - डॉ. भारत भूषण सिंह, डॉ. संदीप ठाकरे - IJFMR Volume 5, Issue 3, May-June 2023. DOI 10.36948/ijfmr.2023.v05i03.3187
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i03.3187
Short DOI https://doi.org/gr9r3j

Share this