International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 7, Issue 2 (March-April 2025) Submit your research before last 3 days of April to publish your research paper in the issue of March-April.

डॉ. श्याम सुंदर दुबे के कथा साहित्य में आदिवासी जीवन

Author(s) प्रेमलता उपाध्याय स्नेह, डॉ अनीता नायक
Country India
Abstract "नवगीत का अपना एक स्वायत्त स्वरूप है। नवगीत की यात्रा बहुत धीमे धीमे चलती रही है। नवगीत विधा एक आन्दोलन की तरह प्रतिष्ठित होने वाली विधा नहीं है। नवगीत एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें नवगीत धर्मिता का उफान नहीं है। यह जल्दी बाली और हडबड़ी वाली विधा नहीं है। नवगीत एक लम्बी यात्रा की पुख्ता तैयारी करने वली विधा है। इस विधा के इतिहास में चालीस पचास वर्ष की अवधि मायने नहीं रखती। दरअसल नाम को नहीं विधा के चाल चलन को अपनी दृष्टि पथ में रखना चाहिए।" (01)
उपर्युक्त कथन नवगीत के बारे में स्वयं डॉ श्याम सुंदर दुबे का है। वे नावगीत तब लिखते है, जब बहुत तीखे दबाव से गुजरते हैं क्योकिं दबाब ही अनायास नवगीत बन कर फूटता है। बेहद मानसिक उल्लास या बेहद मानसिक त्रास ही नवगीत की रचना के उत्स हैं। आरंभिक रचनाओं मे प्रकृति की उत्तेजना उन्हे प्रभावित करती है पर बाद में वास्तविक संघर्ष उन्हें नवगीतों की ओर ले जाता है।
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 5, Issue 3, May-June 2023
Published On 2023-05-25
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i03.3222
Short DOI https://doi.org/gr9r2r

Share this