International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचमहाभूत सिद्धान्त एवं सतत् विकास

Author(s) बेचा लाल, अनिल कुमार,
Country India
Abstract इस अध्ययन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और दर्शन में उल्लिखित पांच मूल तत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के महत्व को तलाशना तथा समकालीन समाज हेतु प्रस्तुत करना है। वैदिक वाङ्मय में हम इन्हें पंचमहाभूत के रूप में भी जानते हैं, जिन्हें केंद्र में रखकर पारंपरिक और वैदिक ज्ञान को समकालीन वैज्ञानिक समझ के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। इसका उद्देश्य प्राचीन और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करके इन पंचमहाभूतों (पांच तत्वों) की व्यापकता पर सामान्य समझ विकसित करना है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि पृथ्वी के जैविक विकास में जल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भी स्पष्ट है कि इन सभी पांच तत्वों में एक अंतर्निहित संबंध है जो पृथ्वी के पोषण और विकास के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में काम करता है। वर्तमान आधुनिकता के दौर में हम अनियोजित विकास की अंधी दौड़ में आने वाली पीढ़ियों, वनस्पतियों एवं पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करते जा रहे हैं। धरती और मानवता के लिए हमें आधुनिक विज्ञान के साथ पारम्परिक ज्ञान का एकीकरण करते हुए जनसामान्य तक पहुंचाना होगा।
Keywords पृथ्वीतत्व, जलतत्व, आयुर्वेद, समर्थ गंगा, पारिस्थितिकी तंत्र
Field Sociology > Politics
Published In Volume 6, Issue 6, November-December 2024
Published On 2024-12-27
DOI https://doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i06.33992
Short DOI https://doi.org/g82gg3

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