International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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बंजारा लोकगीतों में भक्ति

Author(s) डॉ. पोरिका नागमणी
Country India
Abstract जब से मनुष्य ने बोलना सिखा तब उन्हें मनोरंजन, उपदेश, भक्ति, प्रेम, सौन्दर्य, दुःख, वेदना, पीड़ा, वीरता, उत्साह, को अभिव्यक्त करने के लिए कथा, लोककथा, लोकगीत, लोकनाट्य, लोक नृत्य, लोक गाथा आदि का जन्म हुआ | यह सबको विदित हैं कि लोक साहित्य किसी एक का नहीं होता वह तो परम्परागत रूप से एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में मनोरंजन, उपदेश,भक्ति,संकृति, संस्कार आदि के रूप में आगे बढ़ता रहता हैं | और साथ में पीढ़ी दर पीढ़ी उसमें कुछ न कुछ जुड़ते, छटते, परिमार्जित होते जाता हैं | लोकसाहित्य का माध्यम मौखिक होने के कारण आज वह अल्प रूप में लिखित हैं | समय के साथ जागरूक लोकसाहित्य प्रेमी उसे मुद्रित कर हमारे सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हैं | आज सभा-सम्मेलन, राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों के माध्यम से लुप्त हो रहे लोक साहित्य को संजीवनी प्रदान की जा रही हैं | विश्व के प्रत्येक समूह, जाति, समाज, राष्ट्र का लोक साहित्य हैं | क्योंकि वर्तमान आधुनिक साहित्य लोकसाहित्य की ही देन हैं | उसे हम आधुनिक साहित्य की जन्मदात्री भी कह सकते हैं | जिस प्रकार से प्रत्येक आधुनिक साहित्य की विधा की अपनी एक स्वतंत्र संरचना होती हैं, उसी प्रकार लोक साहित्य का गौर से अध्ययन करने पर ज्ञात होगा कि लोकसाहित्य का भी अपना एक स्वतंत्र ढाँचा होता हैं |
Field Sociology > Linguistic / Literature
Published In Volume 3, Issue 5, September-October 2021
Published On 2021-09-28
Cite This बंजारा लोकगीतों में भक्ति - डॉ. पोरिका नागमणी - IJFMR Volume 3, Issue 5, September-October 2021.

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