International Journal For Multidisciplinary Research

E-ISSN: 2582-2160     Impact Factor: 9.24

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प्रकृति और मानव के बीच संबंध: भारतीय दर्शन का दृष्टिकोण

Author(s) रेखा पाण्डेय
Country India
Abstract भारतीय दर्शन में प्रकृति और मानव के संबंध को गहरे आध्यात्मिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोण से देखा गया है। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, योग, सांख्य, जैन और बौद्ध दर्शन में प्रकृति को केवल एक भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि एक जीवंत शक्ति और सहअस्तित्व का आधार माना गया है। भारतीय चिंतन में प्रकृति को माता, देवी और शक्ति के रूप में देखा जाता है, जहाँ मानव को उसका संरक्षणकर्ता माना गया है, न कि उसका स्वामी। यह विचारधारा पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। वेदों और उपनिषदों में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को पंचमहाभूत के रूप में मान्यता दी गई है, जो संपूर्ण सृष्टि का आधार हैं। योग और आयुर्वेद भी मानव जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर बल देते हैं। जैन एवं बौद्ध परंपराएँ अहिंसा और सहअस्तित्व के सिद्धांतों पर आधारित हैं, जो सभी जीवों के प्रति करुणा और सम्मान की भावना विकसित करने की प्रेरणा देते हैं। आधुनिक समय में पर्यावरणीय संकटों को देखते हुए भारतीय दर्शन के सिद्धांतों का पुनर्पाठ आवश्यक है। यह दृष्टिकोण न केवल सतत विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि मानव को प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है। इस शोध-पत्र में भारतीय दार्शनिक परंपराओं के आलोक में प्रकृति और मानव के संबंधों का विश्लेषण किया गया है और यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार भारतीय परंपराएँ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं।
Keywords भारतीय दर्शन, प्रकृति, मानव, पर्यावरण, वेद, उपनिषद, योग, सांख्य, पंचमहाभूत, जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, अहिंसा, सहअस्तित्व, संतुलन, पारिस्थितिकी, सतत विकास।
Field Arts
Published In Volume 4, Issue 6, November-December 2022
Published On 2022-12-07

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